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Collection: दिल Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 205 - Darsaal

दिल Poetry (page 205)

बे-वफ़ा गो मिले न तू मुझ को

हसरत अज़ीमाबादी

अज़ीज़ो तुम न कुछ उस को कहो हुआ सो हुआ

हसरत अज़ीमाबादी

अब तुझ से फिरा ये दिल-ए-नाकाम हमारा

हसरत अज़ीमाबादी

आता हूँ जब उस गली से सौ सौ ख़्वारी खींच कर

हसरत अज़ीमाबादी

आश्ना कब हो है ये ज़िक्र दिल-ए-शाद के साथ

हसरत अज़ीमाबादी

किस के दिल में बसता हूँ

हसनैन आक़िब

ख़ाना-ए-दिल कि मोअत्तर भी बहुत लगता है

हसनैन आक़िब

ज़िंदगी क्या यूँही नाशाद करेगी मुझ को

हाशिम रज़ा जलालपुरी

ज़र्द मौसम में भी इक शाख़ हरी रहती है

हाशिम रज़ा जलालपुरी

ये उस की मर्ज़ी कि मैं उस का इंतिख़ाब न था

हाशिम रज़ा जलालपुरी

वो मिरे शहर में आता है चला जाता है

हाशिम रज़ा जलालपुरी

तू नहीं है तो तिरे हमनाम से रिश्ता रक्खा

हाशिम रज़ा जलालपुरी

दश्त में ख़ाक उड़ाते हैं दुआ करते हैं

हाशिम रज़ा जलालपुरी

बहुत दिन तक कोई चेहरा मुझे अच्छा नहीं लगता

हाशिम रज़ा जलालपुरी

बदन से रूह हम-आग़ोश होने वाली थी

हाशिम रज़ा जलालपुरी

निगाहें झुक गईं आया शबाब आहिस्ता आहिस्ता

हाशिम अली ख़ाँ दिलाज़ाक

शौक़ से आप ये अंग्रेज़ी दवा भी लेते

हसीब सोज़

अमीर-ए-शहर से मिल कर सज़ाएँ मिलती हैं

हसीब सोज़

नक़्श-ए-कुहन सब दिल के मिटाओ

हसीब रहबर

उस की आँखें हरे समुंदर उस की बातें बर्फ़

हसन रिज़वी

ठहरे पानी को वही रेत पुरानी दे दे

हसन रिज़वी

तमाम शोबदे उस के कमाल उस के हैं

हसन रिज़वी

सूरत है वो ऐसी कि भुलाई नहीं जाती

हसन रिज़वी

फिर नए ख़्वाब बुनें फिर नई रंगत चाहें

हसन रिज़वी

कोई मौसम भी हम को रास नहीं

हसन रिज़वी

कभी शाम-ए-हिज्र गुज़ारते कभी ज़ुल्फ़-ए-यार सँवारते

हसन रिज़वी

कभी किताबों में फूल रखना कभी दरख़्तों पे नाम लिखना

हसन रिज़वी

हवा के रुख़ पर चराग़-ए-उल्फ़त की लौ बढ़ा कर चला गया है

हसन रिज़वी

चुप हैं हुज़ूर मुझ से कोई बात हो गई

हसन रिज़वी

अब के यारो बरखा-रुत ने मंज़र क्या दिखलाए हैं

हसन रिज़वी

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