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Collection: दिल Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 199 - Darsaal

दिल Poetry (page 199)

वो ये कहते हैं ज़माने की तमन्ना मैं हूँ

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

वो शोख़ बाम पे जब बे-नक़ाब आएगा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

तुम भी निगाह में हो अदू भी नज़र में है

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

सितम तीर-ए-निगाह-ए-दिलरुबा था

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

मुझे फ़रेब-ए-वफ़ा दे के दम में लाना था

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

कुछ मोहब्बत में अजब शेव-ए-दिल-दार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

दिल फ़ुर्क़त-ए-हबीब में दीवाना हो गया

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

दुआ ही वज्ह-ए-करामात थोड़ी होती है

हिजाब अब्बासी

मुझे तेरी जुदाई का ये सदमा मार डालेगा

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

मिरे शाने पे रहने दो अभी गेसू ज़रा ठहरो

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

दिन रात तुम्हारी यादों से हम ज़ख़्म सँवारा करते हैं

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

बहुत कठिन है डगर थोड़ी दूर साथ चलो

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

अपने कहते हैं कोई बात तो दुख होता है

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

याद इतना है मिरे लब पे फ़ुग़ाँ आई थी

हीरा लाल फ़लक देहलवी

नज़रों में हुस्न दिल में तुम्हारा ख़याल है

हीरा लाल फ़लक देहलवी

मैं तिरा जल्वा तू मेरा दिल है मेरे हम-नशीं

हीरा लाल फ़लक देहलवी

चराग़-ए-इल्म रौशन-दिल है तेरा

हीरा लाल फ़लक देहलवी

ज़माना देखता है हंस के चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ मेरी

हीरा लाल फ़लक देहलवी

ये और बात है हर शख़्स के गुमाँ में नहीं

हीरा लाल फ़लक देहलवी

तारों से माहताब से और कहकशाँ से क्या

हीरा लाल फ़लक देहलवी

सुकून-ए-दिल के लिए और क़रार-ए-जाँ के लिए

हीरा लाल फ़लक देहलवी

रौशन है फ़ज़ा शम्स कोई है न क़मर है

हीरा लाल फ़लक देहलवी

रंग-आमेज़ी से पैदा कुछ असर ऐसा हुआ

हीरा लाल फ़लक देहलवी

निय्यत अगर ख़राब हुई है हुज़ूर की

हीरा लाल फ़लक देहलवी

मेरी हस्ती में मिरी ज़ीस्त में शामिल होना

हीरा लाल फ़लक देहलवी

क्या कहें क्यूँकर हुआ तूफ़ान में पैदा क़फ़स

हीरा लाल फ़लक देहलवी

कू-ए-जानाँ में नहीं कोई गुज़र की सूरत

हीरा लाल फ़लक देहलवी

दिल शादमाँ हो ख़ुल्द की भी आरज़ू न हो

हीरा लाल फ़लक देहलवी

आह-ए-ज़िंदाँ में जो की चर्ख़ पे आवाज़ गई

हीरा लाल फ़लक देहलवी

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