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Collection: देर Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 27 - Darsaal

देर Poetry (page 27)

सोचने का भी नहीं वक़्त मयस्सर मुझ को

बिस्मिल अज़ीमाबादी

ज़रा सी देर भी रुकता तो कुछ पता चलता

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

हमारी जागती आँखों में ख़्वाब सा क्या था

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

तिरी तलाश में निकला तो रास्ता हुआ मैं

बिलाल अहमद

दिल आतिश-ए-हिज्राँ से जलाना नहीं अच्छा

भारतेंदु हरिश्चंद्र

मैं थोड़ी देर भी आँखों को अपनी बंद कर लूँ तो

भारत भूषण पन्त

बस ज़रा इक आइने के टूटने की देर थी

भारत भूषण पन्त

आँखों में एक बार उभरने की देर थी

भारत भूषण पन्त

कुछ न कुछ सिलसिला ही बन जाता

भारत भूषण पन्त

हर एक रात में अपना हिसाब कर के मुझे

भारत भूषण पन्त

इक गर्दिश-ए-मुदाम भी तक़दीर में रही

भारत भूषण पन्त

दयार-ए-ज़ात में जब ख़ामुशी महसूस होती है

भारत भूषण पन्त

यूँ तो कई किताबें पढ़ीं ज़ेहन में मगर

बेकल उत्साही

उस का जवाब एक ही लम्हे में ख़त्म था

बेकल उत्साही

मुझ को शिकस्तगी का क़लक़ देर तक रहा

बेकल उत्साही

भीतर बसने वाला ख़ुद बाहर की सैर करे मौला ख़ैर करे

बेकल उत्साही

मसरूर भी हूँ ख़ुश भी हूँ लेकिन ख़ुशी नहीं

बहज़ाद लखनवी

ख़ुशी महसूस करता हूँ न ग़म महसूस करता हूँ

बहज़ाद लखनवी

कहाँ ईमान किस का कुफ़्र और दैर-ओ-हरम कैसे

बेदम शाह वारसी

न कुनिश्त ओ कलीसा से काम हमें दर-ए-दैर न बैत-ए-हरम से ग़रज़

बेदम शाह वारसी

हलाक-ए-तेग़-ए-जफ़ा या शहीद-ए-नाज़ करे

बेदम शाह वारसी

बरहमन मुझ को बनाना न मुसलमाँ करना

बेदम शाह वारसी

शैख़ के माथे पे मिट्टी बरहमन के बर में बुत

बयान मेरठी

यार पहलू में निहाँ था मुझे मा'लूम न था

बयान मेरठी

ख़ूँ बहाने के हैं हज़ार तरीक़

बयान मेरठी

वारफ़्तगी-ए-इश्क़ न जाए तो क्या करें

बासित भोपाली

मैं जितनी देर तिरी याद में उदास रहा

बशीर फ़ारूक़ी

हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं

बशीर बद्र

इक शाम के साए तले बैठे रहे वो देर तक

बशीर बद्र

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो

बशीर बद्र

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