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Collection: देख Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 76 - Darsaal

देख Poetry (page 76)

बारहा ठिठका हूँ ख़ुद भी अपना साया देख कर

अख़्तर होशियारपुरी

ज़ुल्म सहते रहे शुक्र करते रहे आई लब तक न ये दास्ताँ आज तक

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

ये मोहब्बत की जवानी का समाँ है कि नहीं

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

शराब आए तो कैफ़-ओ-असर की बात करो

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

नदीम बाग़ में जोश-ए-नुमू की बात न कर

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

जाम ला जाम कि आलाम से जी डरता है

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

दूर तक रौशनी है ग़ौर से देख

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

कोई मआल-ए-मोहब्बत मुझे बताओ नहीं

अख़्तर अंसारी

फूल सूँघे जाने क्या याद आ गया

अख़्तर अंसारी

कोई मआल-ए-मोहब्बत मुझे बताओ नहीं

अख़्तर अंसारी

में महफ़िल-ए-हयात में हैरान सा रहा

अख़लाक़ अहमद आहन

हम आज बज़्म-ए-रक़ीबाँ से सुर्ख़-रू आए

अख़लाक़ अहमद आहन

न धूप धूप रहे और न साया साया तो

अखिलेश तिवारी

किसे जाना कहाँ है मुनहसिर होता है इस पर भी

अखिलेश तिवारी

हँसना रोना पाना खोना मरना जीना पानी पर

अखिलेश तिवारी

गुत्थी न सुलझ पाई गो सुलझाई बहुत है

अखिलेश तिवारी

लुटाऊँ मस्तियाँ सरसब्ज़ रहगुज़र की तरह

अकबर काज़मी

हर दुकाँ अपनी जगह हैरत-ए-नज़्ज़ारा है

अकबर हैदराबादी

दश्त-ए-अदम का सन्नाटा

अकबर हैदराबादी

निगह-ए-शौक़ से हुस्न-ए-गुल-ओ-गुलज़ार तो देख

अकबर हैदराबादी

नाम 'अकबर' तो मिरा माँ की दुआ ने रक्खा

अकबर हमीदी

तय्यार थे नमाज़ पे हम सुन के ज़िक्र-ए-हूर

अकबर इलाहाबादी

मुझ को तो देख लेने से मतलब है नासेहा

अकबर इलाहाबादी

जब मैं कहता हूँ कि या अल्लाह मेरा हाल देख

अकबर इलाहाबादी

जल्वा-ए-दरबार-ए-देहली

अकबर इलाहाबादी

उन्हें निगाह है अपने जमाल ही की तरफ़

अकबर इलाहाबादी

रंग-ए-शराब से मिरी निय्यत बदल गई

अकबर इलाहाबादी

जज़्बा-ए-दिल ने मिरे तासीर दिखलाई तो है

अकबर इलाहाबादी

जहाँ में हाल मिरा इस क़दर ज़बून हुआ

अकबर इलाहाबादी

हर इक ये कहता है अब कार-ए-दीं तो कुछ भी नहीं

अकबर इलाहाबादी

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