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Collection: देख Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 62 - Darsaal

देख Poetry (page 62)

नर्गिस-ए-मस्त तिरी जाए जो तुल बरसर-ए-गुल

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

सज़ा

बाक़र मेहदी

रेत और दर्द

बाक़र मेहदी

औरों पे इत्तिफ़ाक़ से सब्क़त मिली मुझे

बाक़र मेहदी

नए समय की कोयल

बक़ा बलूच

क्या पूछते हो मैं कैसा हूँ

बक़ा बलूच

गो ज़रा तेज़ शुआएँ थीं ज़रा मंद थे हम

बकुल देव

अहल-ए-ज़र ने देख कर कम-ज़रफ़ी-ए-अहल-ए-क़लम

बख़्श लाइलपूरी

क़ातिल हुआ ख़मोश तो तलवार बोल उठी

बख़्श लाइलपूरी

दीदा-ए-बे-रंग में ख़ूँ-रंग मंज़र रख दिए

बख़्श लाइलपूरी

दुनिया में इबादत को तिरी आए हुए हैं

बहराम जी

सहम कर ऐ 'ज़फ़र' उस शोख़ कमाँ-दार से कह

ज़फ़र

हम अपना इश्क़ चमकाएँ तुम अपना हुस्न चमकाओ

ज़फ़र

याँ ख़ाक का बिस्तर है गले में कफ़नी है

ज़फ़र

सब रंग में उस गुल की मिरे शान है मौजूद

ज़फ़र

रुख़ जो ज़ेर-ए-सुंबल-ए-पुर-पेच-ओ-ताब आ जाएगा

ज़फ़र

पान की सुर्ख़ी नहीं लब पर बुत-ए-ख़ूँ-ख़्वार के

ज़फ़र

मोहब्बत चाहिए बाहम हमें भी हो तुम्हें भी हो

ज़फ़र

इतना न अपने जामे से बाहर निकल के चल

ज़फ़र

देखो इंसाँ ख़ाक का पुतला बना क्या चीज़ है

ज़फ़र

देख दिल को मिरे ओ काफ़िर-ए-बे-पीर न तोड़

ज़फ़र

आसमाँ पर काले बादल छा गए

बद्र-ए-आलम ख़लिश

किस को फ़ुर्सत कौन पढ़ेगा चेहरे जैसा सच्चा सच

बद्र वास्ती

तुम हँसते क्यूँ हो

अज़रा अब्बास

समुंदर की ख़ुश्बू

अज़रा अब्बास

नहीं

अज़रा अब्बास

मुझे तक़्सीम कर दो

अज़रा अब्बास

फ़ीमेल बुल-फ़ाइटर

अज़रा अब्बास

अपने दुख-दर्द का अफ़्साना बना लाया हूँ

अज़्म शाकरी

आमादगी को वस्ल से मशरूत मत समझ

अज़्म बहज़ाद

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