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Collection: देख Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 26 - Darsaal

देख Poetry (page 26)

ता-उम्र आश्ना न हुआ दिल गुनाह का

शाद अज़ीमाबादी

क्यूँ हो बहाना-जू न क़ज़ा सर से पाँव तक

शाद अज़ीमाबादी

किस पे क़ाबू जो तुझी पे नहीं क़ाबू अपना

शाद अज़ीमाबादी

किस बुरी साअत से ख़त ले कर गया

शाद अज़ीमाबादी

काबा ओ दैर में जल्वा नहीं यकसाँ उन का

शाद अज़ीमाबादी

हज़ार हैफ़ छुटा साथ हम-नशीनों का

शाद अज़ीमाबादी

ग़म-ए-फ़िराक़ मय ओ जाम का ख़याल आया

शाद अज़ीमाबादी

वहाँ भी ज़हर-ज़बाँ काम कर गया होगा

शबनम शकील

न पूछ देख के कितना मलाल होता है

शबनम शकील

हम-नशीनो कुछ नहीं रक्खा यहाँ पर कुछ नहीं

शबनम शकील

बदल चुकी है हर इक याद अपनी सूरत भी

शबनम शकील

आधा जीवन बीता आहें भरने में

शबनम रूमानी

नज़्म

शबनम अशाई

नज़्म

शबनम अशाई

नज़्म

शबनम अशाई

नज़्म

शबनम अशाई

नज़्म

शबनम अशाई

इतना एहसान और करता कौन

शबी फ़ारूक़ी

सुना के रंज-ओ-अलम मुझ को उलझनों में न डाल

शब्बीर नाज़िश

शब-ए-विसाल थी रौशन फ़ज़ा में बैठा था

शबाब ललित

हद्द-ए-सितम न कर कि ज़माना ख़राब है

शबाब ललित

हुई मुद्दत कि मैं ने बुत-परस्ती छोड़ दी ज़ाहिद

शबाब

वो कहाँ वक़्त कि मोड़ेंगे इनाँ और तरफ़

शानुल हक़ हक़्क़ी

फ़ित्ने जो कई शक्ल-ए-करिश्मात उठे हैं

शानुल हक़ हक़्क़ी

तारे जो आसमाँ से गिरे ख़ाक हो गए

शाद आरफ़ी

सितम-गर को मैं चारा-गर कह रहा हूँ

शाद आरफ़ी

मुस्तक़बिल रौशन-तर कहिए

शाद आरफ़ी

तकमील-ए-इश्क़ जब हो कि सहरा भी छोड़ दे

सेहर इश्क़ाबादी

तकमील-ए-इश्क़ जब हो कि सहरा भी छोड़ दे

सेहर इश्क़ाबादी

रंग उड़ कर रौनक़-ए-तस्वीर आधी रह गई

सेहर इश्क़ाबादी

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