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Collection: दास्ताँ Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 15 - Darsaal

दास्ताँ Poetry (page 15)

सफ़ीर-ए-लैला-1

अली अकबर नातिक़

अज़ल के क़िस्सा-गो ने दिल की जो उतारी दास्ताँ

अली अकबर नातिक़

न पूछ रब्त है क्या उस की दास्ताँ से मुझे

अलीम अफ़सर

चले थे भर के रेत जब सफ़र की जिस्म-ओ-जाँ में हम

अलीम अफ़सर

बन कर लहू यक़ीन न आए तो देख लें

अलीम अफ़सर

यूँ ही रक्खोगे इम्तिहाँ में क्या

अकरम महमूद

तिरे बग़ैर मसाफ़त का ग़म कहाँ कम है

अख्तर शुमार

बस्ती की लड़कियों के नाम

अख़्तर शीरानी

बदनाम हो रहा हूँ

अख़्तर शीरानी

दिल में ख़याल-ए-नर्गिस-ए-जानाना आ गया

अख़्तर शीरानी

क़िस्मत में दर्द है तो दवा ही न लाऊँगा

अख़तर शाहजहाँपुरी

आँसुओं के तूफ़ाँ में बिजलियाँ दबी रखना

अख़तर मुस्लिमी

हम अक्सर तीरगी में अपने पीछे छुप गए हैं

अख़्तर होशियारपुरी

हरीफ़-ए-दास्ताँ करना पड़ा है

अख़्तर होशियारपुरी

ज़ुल्म सहते रहे शुक्र करते रहे आई लब तक न ये दास्ताँ आज तक

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

नज़र से सफ़्हा-ए-आलम पे ख़ूनीं दास्ताँ लिखिए

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

कोशिश-ए-पैहम को सई-ए-राएगाँ कहते रहो

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

क़सम इन आँखों की जिन से लहू टपकता है

अख़्तर अंसारी

हयात इंसाँ की सर ता पा ज़बाँ मालूम होती है

अख़्तर अंसारी

ग़म-ए-हयात कहानी है क़िस्सा-ख़्वाँ हूँ मैं

अख़्तर अंसारी

वही गुमाँ है जो उस मेहरबाँ से पहले था

अकबर अली खान अर्शी जादह

ख़ाक में मिलना था आख़िर बे-निशाँ होना ही था

अजीत सिंह हसरत

इक परिंदा शाख़ पर बैठा हुआ

ऐन इरफ़ान

धुँद है या धुआँ समझता हूँ

ऐन इरफ़ान

मआल-ए-सोज़-ए-तलब था दिल-ए-तपाँ मालूम

अहसन रिज़वी दानापुरी

वो दास्ताँ जो तिरी दिल-कशी ने छेड़ी थी

अहमद राही

तवील रातों की ख़ामुशी में मिरी फ़ुग़ाँ थक के सो गई है

अहमद राही

तवील रातों की ख़ामुशी में मिरी फ़ुग़ाँ थक के सो गई है

अहमद राही

ग़म-ए-हयात में कोई कमी नहीं आई

अहमद राही

सुकूत तोड़ने का एहतिमाम करना चाहिए

अहमद ख़याल

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