दश्त Poetry (page 19)
तिरी फ़ुज़ूल बंदगी बना न दे ख़ुदा मुझे
इम्तियाज़ अहमद
ताराज ख़्वाहिशों का मुदावा न हो सका
इम्तियाज़ अहमद
तलाश मैं ने ज़िंदगी में तेरी बे-शुमार की
इमरान हुसैन आज़ाद
इस दश्त से आगे भी कोई दश्त-ए-गुमाँ है
इमरान आमी
हम-साए में शैतान भी रहता है ख़ुदा भी
इमरान आमी
दिल संग नहीं है कि सितमगर न भर आता
इम्दाद इमाम असर
कभी तो देखे हमारी अरक़-फ़िशानी धूप
इमदाद अली बहर
गरचे क़लम से कुछ न लिखेंगे मुँह से कुछ नहीं बोलेंगे
इलियास इश्क़ी
चुराने को चुरा लाया मैं जल्वे रू-ए-रौशन से
इज्तिबा रिज़वी
इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो
इफ़्तिख़ार नसीम
धुँद
इफ़्तेख़ार जालिब
वही प्यास है वही दश्त है वही घराना है
इफ़्तिख़ार आरिफ़
उमीद-ओ-बीम के मेहवर से हट के देखते हैं
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़म-ए-जहाँ को शर्मसार करने वाले क्या हुए
इफ़्तिख़ार आरिफ़
अजीब कर्ब-ए-मुसलसल दिल-ओ-नज़र में रहा
इफ़्फ़त ज़र्रीं
शब-ए-फ़ुर्क़त की तन्हाई का लम्हा
इफ़्फ़त अब्बास
यहाँ से चारों तरफ़ रास्ते निकलते हैं
इदरीस बाबर
वो शहर इत्तिफ़ाक़ से नहीं मिला
इदरीस बाबर
मैं कुछ दिनों में उसे छोड़ जाने वाला था
इदरीस बाबर
ख़ेमगी-ए-शब है तिश्नगी दिन है
इदरीस बाबर
ख़मोश रह के ज़वाल-ए-सुख़न का ग़म किए जाएँ
इदरीस बाबर
दिल में है इत्तिफ़ाक़ से दश्त भी घर के साथ साथ
इदरीस बाबर
तिरी ज़मीं से उठेंगे तो आसमाँ होंगे
इब्राहीम अश्क
दैर-ओ-हरम में दश्त-ओ-बयाबान-ओ-बाग़ में
इब्राहीम होश
देख कर मेरा दश्त-ए-तन्हाई
इब्न-ए-सफ़ी
ज़ेहन से दिल का बार उतरा है
इब्न-ए-सफ़ी
क्या क्या हैं गिले उस को बता क्यूँ नहीं देता
इब्न-ए-रज़ा
यूँही तो नहीं दश्त में पहुँचे यूँही तो नहीं जोग लिया
इब्न-ए-इंशा
दिल-आशोब
इब्न-ए-इंशा
दिल इक कुटिया दश्त किनारे
इब्न-ए-इंशा
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