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Collection: दर्द Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 87 - Darsaal

दर्द Poetry (page 87)

बंद फ़सीलें शहर की तोड़ें ज़ात की गिरहें खोलें

अब्दुल अहद साज़

निहाल-ए-दर्द ये दिन तुझ पे क्यूँ उतरता नहीं

अब्बास ताबिश

वही दर्द है वही बेबसी तिरे गाँव में मिरे शहर में

अब्बास दाना

ज़मीन उन के लिए फूल खिलाती है

अब्बास अतहर

किसी से इश्क़ करना और इस को बा-ख़बर करना

अब्बास अली ख़ान बेखुद

मोहब्बत करने वाले दर्द में तन्हा नहीं होते

आज़िम कोहली

ज़र्फ़ है किस में कि वो सारा जहाँ ले कर चले

आज़िम कोहली

सिलसिले सब रुक गए दिल हाथ से जाता रहा

आज़िम कोहली

मिरी यादें भला तुम किस तरह दिल से मिटाओगे

आज़िम कोहली

जो होगा सब ठीक ही होगा होने दो जो होना है

आज़िम कोहली

इक इश्क़ है कि जिस की गली जा रहा हूँ मैं

आज़िम कोहली

दिल में है क्या अज़ाब कहे तो पता चले

अातिश इंदौरी

सितम को उन का करम कहें हम जफ़ा को मेहर-ओ-वफ़ा कहें हम

अातिश बहावलपुरी

कमाल-ए-हुस्न का जिस से तुम्हें ख़ज़ाना मिला

अातिश बहावलपुरी

हज़ारों तरह अपना दर्द हम उस को सुनाते हैं

आसी उल्दनी

हज़ारों तरह अपना दर्द हम इस को सुनाते हैं

आसी उल्दनी

धूप हालात की हो तेज़ तो और क्या माँगो

आसी रामनगरी

बीमार-ए-ग़म की चारागरी कुछ ज़रूर है

आसी ग़ाज़ीपुरी

क़तरा वही कि रू-कश-ए-दरिया कहें जिसे

आसी ग़ाज़ीपुरी

कलेजा मुँह को आता है शब-ए-फ़ुर्क़त जब आती है

आसी ग़ाज़ीपुरी

हमारे बारे में क्या क्या न कुछ कहा होगा

आशुफ़्ता चंगेज़ी

मैं डर रहा हूँ हर इक इम्तिहान से पहले

आनन्द सरूप अंजुम

अब तुम को ही सावन का संदेसा नहीं बनना

आमिर सुहैल

सियाह रात की सब आज़माइशें मंज़ूर

आल-ए-अहमद सूरूर

लोग तन्हाई का किस दर्जा गिला करते हैं

आल-ए-अहमद सूरूर

फ़ुग़ान-ए-दर्द में भी दर्द की ख़लिश ही नहीं

आल-ए-अहमद सूरूर

हमारे सामने कुछ ज़िक्र ग़ैरों का अगर होगा

आग़ा अकबराबादी

दौर साग़र का चले साक़ी दोबारा एक और

आग़ा अकबराबादी

बुत-ए-ग़ुंचा-दहन पे निसार हूँ मैं नहीं झूट कुछ इस में ख़ुदा की क़सम

आग़ा अकबराबादी

चढ़ा दिया है भगत-सिंह को रात फाँसी पर

आफ़ताब राईस पानीपती

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