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Collection: दर्द Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 61 - Darsaal

दर्द Poetry (page 61)

ख़ुशी महसूस करता हूँ न ग़म महसूस करता हूँ

बहज़ाद लखनवी

होना ही क्या ज़रूर थे ये दो-जहाँ हैं क्यूँ

बहज़ाद लखनवी

फ़रियाद है अब लब पर जब अश्क-फ़िशानी थी

बहज़ाद लखनवी

इक बेवफ़ा को दर्द का दरमाँ बना लिया

बहज़ाद लखनवी

तुम जो चाहो तो मिरे दर्द का दरमाँ हो जाए

बेदम शाह वारसी

मिरे दर्द-ए-निहाँ का हाल मोहताज-ए-बयाँ क्यूँ हो

बेदम शाह वारसी

ये ख़ुसरवी-ओ-शौकत-ए-शाहाना मुबारक

बेदम शाह वारसी

न सुनो मेरे नाले हैं दर्द-भरे दार-ओ-असरे आह-ए-सहरे

बेदम शाह वारसी

न कुनिश्त ओ कलीसा से काम हमें दर-ए-दैर न बैत-ए-हरम से ग़रज़

बेदम शाह वारसी

मुझे जल्वों की उस के तमीज़ हो क्या मेरे होश-ओ-हवास बचा ही नहीं

बेदम शाह वारसी

काश मिरी जबीन-ए-शौक़ सज्दों से सरफ़राज़ हो

बेदम शाह वारसी

दारू-ए-दर्द-ए-निहाँ राहत-ए-जानी सनमा

बेदम शाह वारसी

बरहमन मुझ को बनाना न मुसलमाँ करना

बेदम शाह वारसी

अपनी हस्ती का अगर हुस्न नुमायाँ हो जाए

बेदम शाह वारसी

अपने दीदार की हसरत में तू मुझ को सरापा दिल कर दे

बेदम शाह वारसी

नक़्श बर-दीवार

बेबाक भोजपुरी

अहसन तक़्वीम

बेबाक भोजपुरी

सरीर-ए-ख़ामा से तशरीह-ए-सिर्र-ए-ज़ी होगी

बेबाक भोजपुरी

रौनक़ फ़रोग़-ए-दर्द से कुछ अंजुमन में है

बेबाक भोजपुरी

बख़्त क्या जाने भला या कि बुरा होता है

बेबाक भोजपुरी

तिरा कुश्ता उठाया अक़रबा ने

बयान यज़दानी

ये मैं कहूँगा फ़लक पे जा कर ज़मीं से आया हूँ तंग आ कर

बयान मेरठी

कहता है कौन हिज्र मुझे सुब्ह ओ शाम हो

बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान

शौक़ को बे-अदब किया इश्क़ को हौसला दिया

बासित भोपाली

सब काएनात-ए-हुस्न का हासिल लिए हुए

बासित भोपाली

मेरे रोने पर किसी की चश्म गिर्यां हाए हाए

बासित भोपाली

किसी के नक़्श-ए-क़दम का निशाँ नहीं मिलता

बासित भोपाली

जैसे भी ये दुनिया है जो कुछ भी ज़माना है

बासित भोपाली

इश्क़-ए-सितम-परस्त क्या हुस्न-ए-सितम-शिआ'र क्या

बासित भोपाली

कितना काम करेंगे

बासिर सुल्तान काज़मी

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