दर्द Poetry (page 34)
क़ल्ब-ओ-जिगर के दाग़ फ़रोज़ाँ किए हुए
रज़ी रज़ीउद्दीन
ये वक़्त जब भी लहू का ख़िराज माँगता है
रज़ा मौरान्वी
ये किस दयार के हैं किस के ख़ानदान से हैं
रज़ा मौरान्वी
ख़ुश्क दामन पे बरसने नहीं देती मुझ को
रज़ा मौरान्वी
क्या पूछते हो मुझ को मोहब्बत में क्या मिला
रज़ा जौनपुरी
झुक सके आप का ये सर तो झुका कर देखें
रज़ा जौनपुरी
दिल को मामूर करो जज़्ब-ओ-असर से पहले
रज़ा जौनपुरी
ज़ख़्म कुछ ऐसे मिरे क़ल्ब-ओ-जिगर ने पाए
रज़ा हमदानी
सहरा-ए-ख़याल का दिया हूँ
रज़ा हमदानी
हर एक घर का दरीचा खुला है मेरे लिए
रज़ा हमदानी
हर अक्स ख़ुद एक आइना है
रज़ा हमदानी
आ तुझ को ख़याल में बसाऊँ
रज़ा हमदानी
किस लिए सहरा के मुहताज-ए-तमाशा होजिए
रज़ा अज़ीमाबादी
इश्क़ की बीमारी है जिन को दिल ही दिल में गलते हैं
रज़ा अज़ीमाबादी
अब तो तुम भी जवाँ हुए हो देखेंगे दिल को बचाओगे तुम
रज़ा अज़ीमाबादी
वो कहाँ दर्द जो दिल में तिरे महदूद रहा
रविश सिद्दीक़ी
दर्द आलूदा-ए-दरमाँ था 'रविश'
रविश सिद्दीक़ी
उस से बढ़ कर तो कोई बे-सर-ओ-सामाँ न मिला
रविश सिद्दीक़ी
सुकूँ है हमनवा-ए-इज़्तिराब आहिस्ता आहिस्ता
रविश सिद्दीक़ी
रंग पर जब वो बज़्म-ए-नाज़ आई
रविश सिद्दीक़ी
ख़्वाब-ए-दीदार न देखा हम ने
रविश सिद्दीक़ी
इश्क़ की शरह-ए-मुख़्तसर के लिए
रविश सिद्दीक़ी
एक लग़्ज़िश में दर-ए-पीर-ए-मुग़ाँ तक पहुँचे
रविश सिद्दीक़ी
पर्बत टीले बंद मकानों जैसे थे
रवी कुमार
उन के जाने से ये दिल में हुई सूरत पैदा
रौनक़ टोंकवी
हम हैं हुशियार क्या इरादा है
रौनक़ टोंकवी
रात की सारी हक़ीक़त दिन में उर्यां हो गई
रौनक़ रज़ा
ब-नाम-ए-पैकर-ख़ाकी न गर्द बन जाओ
रौनक़ दकनी
आज़ार-ए-दिल से रंग-ए-तबीअ'त बदल गया
रऊफ़ यासीन जलाली
क़ातिल सभी थे चल दिए मक़्तल से रातों रात
रउफ़ ख़लिश
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