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Collection: दर्द Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 17 - Darsaal

दर्द Poetry (page 17)

राज़-ए-फ़ितरत निहाँ था निहाँ है अभी

शोला हस्पानवी

लबों पे अब कोई आह-ओ-फ़ुग़ाँ नहीं होती

शोला हस्पानवी

हुस्न जब क़ातिल न था और इश्क़ दीवाना न था

शोला हस्पानवी

अपना ख़ालिक़ ख़ुद ही था मेरा ख़ुदा कोई न था

शोला हस्पानवी

दिल की बिसात क्या थी जो सर्फ़-ए-फ़ुग़ाँ रहा

शोला अलीगढ़ी

ज़िंदगी तुझ पे गिराँ है तू मरेगा कैसे

शोहरत बुख़ारी

साँस की आस निगहबाँ है ख़बर-दार रहो

शोहरत बुख़ारी

हर-चंद सहारा है तिरे प्यार का दिल को

शोहरत बुख़ारी

दिल सख़्त निढाल हो गया है

शोहरत बुख़ारी

तिरे आँगन में है जो पेड़ फूलों से लदा होगा

शोभा कुक्कल

ये धुँद ये ग़ुबार छटे तो पता चले

शोएब निज़ाम

न तो गुँध हूँ किसी फूल की न ही फूल हूँ किसी बाग़ का

शिवकुमार बिलग्रामी

दाग़ जो अब तक अयाँ हैं वो बता कैसे मिटें

शिवकुमार बिलग्रामी

सुकूँ-अफ़ज़ा बहुत है दर्द-ए-उल्फ़त

शिव रतन लाल बर्क़ पूंछवी

ख़ून-ए-दिल होता रहा ख़ून-ए-जिगर होता रहा

शिव रतन लाल बर्क़ पूंछवी

जब तिरा आसरा नहीं मिलता

शिव रतन लाल बर्क़ पूंछवी

न जब तक दर्द-ए-इंसाँ से किसी को आगही होगी

शिव चरन दास गोयल ज़ब्त

दुश्मनी वो लाए हैं दोस्ती के दामन में

शिफ़ा कजगावन्वी

पूछते क्या हो जो हाल-ए-शब-ए-तन्हाई था

शिबली नोमानी

मिरी आह बे-असर है मैं असर कहाँ से लाऊँ

शेवन बिजनौरी

मौसम भी ख़ुश-गवार ज़माना भी रास है

शेवन बिजनौरी

होती है लबों पर ख़ामोशी आँखों में मोहब्बत होती है

शेवन बिजनौरी

वो जब तक अंजुमन में जल्वा फ़रमाने नहीं आते

शेर सिंह नाज़ देहलवी

नाला इस शोर से क्यूँ मेरा दुहाई देता

ज़ौक़

नहीं सबात बुलंदी-ए-इज्ज़-ओ-शाँ के लिए

ज़ौक़

क्या ग़रज़ लाख ख़ुदाई में हों दौलत वाले

ज़ौक़

कोई कमर को तिरी कुछ जो हो कमर तो कहे

ज़ौक़

जुदा हों यार से हम और न हो रक़ीब जुदा

ज़ौक़

इक सदमा दर्द-ए-दिल से मिरी जान पर तो है

ज़ौक़

दूद-ए-दिल से है ये तारीकी मिरे ग़म-ख़ाना में

ज़ौक़

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