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Collection: दम Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 52 - Darsaal

दम Poetry (page 52)

मोहब्बत

अल्लामा इक़बाल

मस्जिद-ए-क़ुर्तुबा

अल्लामा इक़बाल

लेनिन

अल्लामा इक़बाल

जवाब-ए-शिकवा

अल्लामा इक़बाल

गोरिस्तान-ए-शाही

अल्लामा इक़बाल

एक आरज़ू

अल्लामा इक़बाल

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ

अल्लामा इक़बाल

मुझे आह-ओ-फ़ुग़ान-ए-नीम-शब का फिर पयाम आया

अल्लामा इक़बाल

करेंगे अहल-ए-नज़र ताज़ा बस्तियाँ आबाद

अल्लामा इक़बाल

गेसू-ए-ताबदार को और भी ताबदार कर

अल्लामा इक़बाल

ना-शनासी का हमेशा ग़म रहा

अलीमुल्लाह हाली

यार के दरसन के ख़ातिर जान और तन भूल जा

अलीमुल्लाह

तेज़ी तिरे मिज़्गाँ की ये नश्तर से कहूँगा

अलीमुल्लाह

रक़ीब-ए-नफ़्स का मुख मोड़ता रह

अलीमुल्लाह

गर इश्क़ है तो देखने पिव को शिताब आ

अलीमुल्लाह

'बहरी' पछाने नीं उसे गुल के सो वो दम-साज़ थे

अलीमुल्लाह

ऐ नीश-ए-इश्क़ तेरे ख़रीदार क्या हुए

अली वजदान

फ़रेब

अली सरदार जाफ़री

हर बुरे वक़्त के अफ़आ'ल बदल देता है

अली मुज़म्मिल

भूलती हुई याद

अली जव्वाद ज़ैदी

जवानी हरीफ़-ए-सितम है तो क्या ग़म

अली जव्वाद ज़ैदी

16 दिसम्बर आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला

अली इमरान

अब कोई ग़म ही नहीं है जो रुलाए मुझ को

अली इमरान

सफ़ीर-ए-लैला-4

अली अकबर नातिक़

नौहा

अली अकबर नातिक़

ग़म से मंसूब करूँ दर्द का रिश्ता दे दूँ

अली अहमद जलीली

जुनूँ में दामन-ए-दिल गरचे तार तार हुआ

अलीना इतरत

तिरे चाँद जैसे रुख़ पर ये निशान-ए-दर्द क्यूँ हैं

अलीम उस्मानी

सिवाए-दर-ब-दरी उस को ख़ाक मिलता है

आलमताब तिश्ना

असीर-ए-दश्त-ए-बला का न माजरा कहना

आलमताब तिश्ना

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