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Collection: दम Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 46 - Darsaal

दम Poetry (page 46)

रात और रेल

असरार-उल-हक़ मजाज़

मुझे जाना है इक दिन

असरार-उल-हक़ मजाज़

इंक़लाब

असरार-उल-हक़ मजाज़

फ़िक्र

असरार-उल-हक़ मजाज़

आवारा

असरार-उल-हक़ मजाज़

आहंग-ए-नौ

असरार-उल-हक़ मजाज़

साज़गार है हमदम इन दिनों जहाँ अपना

असरार-उल-हक़ मजाज़

जिगर और दिल को बचाना भी है

असरार-उल-हक़ मजाज़

अक़्ल की सतह से कुछ और उभर जाना था

असरार-उल-हक़ मजाज़

अनजाने लोगों को हर सू चलता फिरता देख रहा हूँ

असरार ज़ैदी

लीडर की दुआ

असरार जामई

चमचे की दुआ

असरार जामई

बिजली हुई फ़ेल

असरार जामई

रात फिर ख़्वाब में आने का इरादा कर के

असरा रिज़वी

मैं सच तो कह दूँ पर उस को कहीं बुरा न लगे

असरा रिज़वी

आग जो दिल में लगी है वो बुझा दी जाए

असरा रिज़वी

देख के अर्ज़ां लहू सुर्ख़ी-ए-मंज़र ख़मोश

असलम महमूद

दश्त मरऊब है कितना मिरी वीरानी से

असलम महमूद

हमारी याद उन्हें आ गई तो क्या होगा

असलम आज़ाद

तुम भटक जाओ तो कुछ ज़ौक़-ए-सफ़र आ जाएगा

आसिम वास्ती

ये अश्क चश्मों में हमदम रहे रहे न रहे

आसिफ़ुद्दौला

तालिब हो वहाँ आन के क्या कोई सनम का

आसिफ़ुद्दौला

पूछते क्या हो मिरे तुम दिल-ए-दीवाने से

आसिफ़ुद्दौला

जो शमशीर तेरी अलम देखते हैं

आसिफ़ुद्दौला

जिस दम तिरे कूचे से हम आन निकलते हैं

आसिफ़ुद्दौला

कार-ए-दुनिया से गए दीदा-ए-बेदार के साथ

अासिफ़ शफ़ी

साए की तरह कोई मिरे साथ लगा था

अासिफ़ जमाल

भूले हुए हैं सब कि है कार-ए-जहाँ बहुत

अासिफ़ जमाल

जुगनू मियाँ की दुम जो चमकती है रात को

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

बस-कि दीदार तिरा जल्वा-ए-क़ुद्दूसी है

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

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