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Collection: दम Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 42 - Darsaal

दम Poetry (page 42)

आशिक़ हैं मगर इश्क़ नुमायाँ नहीं रखते

बेख़ुद देहलवी

इस बज़्म में न होश रहेगा ज़रा मुझे

बेखुद बदायुनी

दर्द-ए-दिल में कमी न हो जाए

बेखुद बदायुनी

तंज़ की तेग़ मुझी पर सभी खींचे होंगे

बेकल उत्साही

दिल मेरा तेरा ताब-ए-फ़रमाँ है क्या करूँ

बहज़ाद लखनवी

बहुत ज़ोरों पे वी-सी-आर था कल शब जहाँ मैं था

बेदिल जौनपूरी

किरन में फिर से बदलने लगा ख़याल उस का

बेदार सरमदी

सीने में दिल है दिल में दाग़ दाग़ में सोज़-ओ-साज़-ए-इश्क़

बेदम शाह वारसी

क़स्र-ए-जानाँ तक रसाई हो किसी तदबीर से

बेदम शाह वारसी

क़फ़स की तीलियों से ले के शाख़-ए-आशियाँ तक है

बेदम शाह वारसी

न तो अपने घर में क़रार है न तिरी गली में क़याम है

बेदम शाह वारसी

खींची है तसव्वुर में तस्वीर-ए-हम-आग़ोशी

बेदम शाह वारसी

काबे का शौक़ है न सनम-ख़ाना चाहिए

बेदम शाह वारसी

छिड़ा पहले-पहल जब साज़-ए-हस्ती

बेदम शाह वारसी

ये मैं कहूँगा फ़लक पे जा कर ज़मीं से आया हूँ तंग आ कर

बयान मेरठी

लहू टपका किसी की आरज़ू से

बयान मेरठी

ग़म्ज़ा-ए-मा'शूक़ मुश्ताक़ों को दिखलाती है तेग़

बयान मेरठी

जिन दिनों ग़म ज़ियादा होता है

बासिर सुल्तान काज़मी

वो अपने मतलब की कह रहे हैं ज़बान पर गो है बात मेरी

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

इस बहर-ए-बे-सदा में कुछ और नीचे जाएँ

बशीर सैफ़ी

सुहाने सपने आए हैं

बशीर महताब

हम हथेली पे जान रखते हैं

बशीर महताब

तज़्किरे में तिरे इक नाम को यूँ जोड़ दिया

बशीर फ़ारूक़ी

लोगो हम छान चुके जा के समुंदर सारे

बशीर फ़ारूक़ी

इक परी के साथ मौजों पर टहलता रात को

बशीर बद्र

कैसी कैसी थीं उन्ही गलियों में ज़ेबा सूरतें

बशीर अहमद बशीर

गिरफ़्त-ए-ज़ीस्त में हूँ क़ैद-ए-बे-हिसार में हूँ

बशीर अहमद बशीर

इक बे-सबात अक्स बना बे-निशाँ गया

बशीर अहमद बशीर

छुप सका दम भर न राज़-ए-दिल फ़िराक़-ए-यार में

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

चाँद सा चेहरा जो उस का आश्कारा हो गया

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

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