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Collection: दम Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 39 - Darsaal

दम Poetry (page 39)

आइने से कब तलक तुम अपना दिल बहलाओगे

दिनेश ठाकुर

जब कोई ज़ख़्म उभरता है किनारों जैसा

दिलदार हाश्मी

मौसीक़ी से इलाज

दिलावर फ़िगार

मर्दुम-गज़ीदा इंसान का इलाज

दिलावर फ़िगार

यूँ दीदा-ए-ख़ूँ-बार के मंज़र से उठा मैं

दिलावर अली आज़र

मुमकिन है कि मिलते कोई दम दोनों किनारे

दिलावर अली आज़र

हसीं है शहर तो उजलत में क्यूँ गुज़र जाएँ

दिल अय्यूबी

आईने में देख के चेहरा बे-शक मैं हैरान हुआ

देवमणि पांडेय

वो नहीं मेरा मगर उस से मोहब्बत है तो है

दीप्ति मिश्रा

आज मैं ने गुनाह कर डाला

दीपक शर्मा दीप

नज़र आया न कोई भी इधर देखा उधर देखा

दीपक क़मर

वक़्त की सदियाँ

दाऊद ग़ाज़ी

उम्मीद

दाऊद ग़ाज़ी

सौग़ात

दाऊद ग़ाज़ी

रात

दाऊद ग़ाज़ी

सीना साफ़ी सूँ मिस्ल-ए-दर्पन कर

दाऊद औरंगाबादी

मुझ साथ सैर-ए-बाग़ कूँ ऐ नौ-बहार चल

दाऊद औरंगाबादी

ज़िंदगी का किस लिए मातम रहे

दत्तात्रिया कैफ़ी

क़िस्मत बुरे किसी के न इस तरह लाए दिन

दत्तात्रिया कैफ़ी

फ़िदा अल्लाह की ख़िल्क़त पे जिस का जिस्म ओ जाँ होगा

दत्तात्रिया कैफ़ी

दर्द औरों का दिल में गर रखिए

दरवेश भारती

तोहमत-ए-चंद अपने ज़िम्मे धर चले

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

नज़्म-गो के लिए मशवरा

दानियाल तरीर

आग में जलते हुए देखा गया है

दानियाल तरीर

वो दिन गए कि 'दाग़' थी हर दम बुतों की याद

दाग़ देहलवी

मुझे याद करने से ये मुद्दआ था

दाग़ देहलवी

दिल ही तो है न आए क्यूँ दम ही तो है न जाए क्यूँ

दाग़ देहलवी

उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं

दाग़ देहलवी

तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं

दाग़ देहलवी

शब-ए-वस्ल भी लब पे आए गए हैं

दाग़ देहलवी

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