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Collection: दम Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

दम Poetry

हिज्र

अज़ीमुद्दीन अहमद

मकान ख़ाली है

अज़ीज़ क़ैसी

बाज़-गश्त

अर्श सिद्दीक़ी

सलाम लोगो

हबीब जालिब

'मजाज़' की मौत पर

द्वारका दास शोला

नहीं ख़स्ता-हाली पे ना-मुतमइन हम

अनवर शऊर

रफ़्तार-ए-तेज़-तर का भरम टूटने लगे

शोएब निज़ाम

मेरी दोस्त

हरबंस मुखिया

एंज़ाइटी

काशिफ़ रफ़ीक़

ऐ लाहौर

जीलानी कामरान

यौम-ए-जम्हूर

चरख़ चिन्योटी

बातें करो

ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी

ज़िंदगी और मौत

फ़ज़लुर्रहमान

किस तवक़्क़ो' पे शरीक-ए-ग़म-ए-याराँ होंगे

घटाएँ छाई हैं साग़र उठा ले जिस का जी चाहे

न शिकवा लब तक आएगा न नाला दिल से निकलेगा

अँधेरों से उलझने की कोई तदबीर करना है

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

निकला हूँ शहर-ए-ख़्वाब से ऐसे अजीब हाल में

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

तब्दीली

ज़ुबैर रिज़वी

सफ़ा और सिद्क़ के बेटे

ज़ुबैर रिज़वी

बैठे-बैठे इक दम से चौंकाती है

ज़ुबैर अली ताबिश

अपनी तश्हीर करे या मुझे रुस्वा देखे

ज़िया शबनमी

सफ़र हो रेल-गाड़ी का तो छके छूट जाते हैं

ज़ियाउल हक़ क़ासमी

तसलसुल

ज़िया जालंधरी

ताबा कै

ज़िया जालंधरी

हम

ज़िया जालंधरी

अधूरी

ज़िया जालंधरी

शजर जलते हैं शाख़ें जल रही हैं

ज़िया जालंधरी

रंग बातें करें और बातों से ख़ुश्बू आए

ज़िया जालंधरी

मुंजमिद होंटों पे है यख़ की तरह हर्फ़-ए-जुनूँ

ज़िया जालंधरी

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