छोड़ दो Poetry (page 29)
ऐ मुझे 'मीर' के अशआ'र सुनाने वाले
अासिफ़ शफ़ी
ग़ज़ल में दर्द का जादू मुझी को होना था
अासिफ़ साक़िब
वो बे-हुनर हूँ कि है ज़िंदगी वबाल मुझे
अासिफ़ जमाल
भूल कर तू सारे ग़म अपने चमन में रक़्स कर
अासिफ़ अंजुम
न जाने कब कोई आ कर मिरी तकमील कर जाए
अशअर नजमी
अंधेरे में तजस्सुस का तक़ाज़ा छोड़ जाना है
अशअर नजमी
सुकूत-ए-शब के हाथों सोंप कर वापस बुलाता है
अशअर नजमी
अंधेरे में तजस्सुस का तक़ाज़ा छोड़ जाना है
अशअर नजमी
'अशहर' कहीं क़रीब ही तारीक ग़ार है
अशहर हाशमी
रौशनी जब से मुझे छोड़ गई
असग़र वेलोरी
अपने घर में मिरी तस्वीर सजाने वाले
असग़र राही
सफ़र से लौट आने वाली हवा
असग़र नदीम सय्यद
अपनी रात लय जाओ
असग़र नदीम सय्यद
आए थे घर में आग लगाने शरीर लोग
असग़र मेहदी होश
कुछ देर फ़िक्र आलम-ए-बाला की छोड़ दो
असर लखनवी
साया भी साथ छोड़ गया अब तो ऐ 'असर'
असर अकबराबादी
ग़म-ए-हयात से जब वास्ता पड़ा होगा
असद भोपाली
अभी ज़मीन को सौदा बहुत सरों का है
असअ'द बदायुनी
वहशत हम अपनी ब'अद-ए-फ़ना छोड़ जाएँ
आरज़ू लखनवी
तेरे तो ढंग हैं यही अपना बना के छोड़ दे
आरज़ू लखनवी
वो सर-ए-बाम कब नहीं आता
आरज़ू लखनवी
उस की तो एक दिल-लगी अपना बना के छोड़ दे
आरज़ू लखनवी
जो बुत है यहाँ अपनी जा एक ही है
आरज़ू लखनवी
हर साँस है इक नग़्मा हर नग़्मा है मस्ताना
आरज़ू लखनवी
किसी सूरत अगर इज़हार की सूरत निकल आए
अरशद लतीफ़
कहाँ कहाँ से सुनाऊँ तुम्हें फ़साना-ए-शब
अरशद जमाल 'सारिम'
चला है छोड़ के तन्हा किधर तसव्वुर-ए-यार
अरशद अली ख़ान क़लक़
सितम वो तुम ने किए भूले हम गिला दिल का
अरशद अली ख़ान क़लक़
परतव-ए-रुख़ का तिरे दिल में गुज़र रहता है
अरशद अली ख़ान क़लक़
गर दिल में कर के सैर-ए-दिल-ए-दाग़-दार देख
अरशद अली ख़ान क़लक़
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