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Collection: हसन Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 59 - Darsaal

हसन Poetry (page 59)

अज़ल के दिन जिन्हें देखा था बज़्म-ए-हुस्न-ए-पिन्हाँ में

आरज़ू सहारनपुरी

जितने हुस्न-आबाद में पहोंचे होश-ओ-ख़िरद खो कर पहोंचे

आरज़ू लखनवी

अल्लाह अल्लाह हुस्न की ये पर्दा-दारी देखिए

आरज़ू लखनवी

ये दास्तान-ए-दिल है क्या हो अदा ज़बाँ से

आरज़ू लखनवी

वो बन कर बे-ज़बाँ लेने को बैठे हैं ज़बाँ मुझ से

आरज़ू लखनवी

क़ुर्बत बढ़ा बढ़ा कर बे-ख़ुद बना रहे हैं

आरज़ू लखनवी

फेर जो पड़ना था क़िस्मत में वो हस्ब-ए-मामूल पड़ा

आरज़ू लखनवी

न कोई जल्वती न कोई ख़ल्वती न कोई ख़ास था न कोई आम था

आरज़ू लखनवी

मुझ को दिल क़िस्मत ने उस को हुस्न-ए-ग़ारत-गर दिया

आरज़ू लखनवी

मिरी निगाह कहाँ दीद-ए-हुस्न-ए-यार कहाँ

आरज़ू लखनवी

किसी गुमान-ओ-यक़ीं की हद में वो शोख़-ए-पर्दा-नशीं नहीं है

आरज़ू लखनवी

कहीं सर पटकते दीवाने कहीं पर झुलसते परवाने

आरज़ू लखनवी

जो बुत है यहाँ अपनी जा एक ही है

आरज़ू लखनवी

दूर थे होश-ओ-हवास अपने से भी बेगाना था

आरज़ू लखनवी

दिल दे रहा था जो उसे बे-दिल बना दिया

आरज़ू लखनवी

तमाम हुस्न-ए-जहाँ का जवाब हो के रहा

अर्शी भोपाली

निगाह-ए-शौक़ से कब तक मुक़ाबला करते

अर्शी भोपाली

ख़ुलूस-ए-अल्फ़ाज़ काम आया निगाह-ए-अहल-ए-फ़ितन से पहले

अर्शी भोपाली

नए मौसम की बशारत हैं हम

अरशद महमूद नाशाद

दर्द की साकित नदी फिर से रवाँ होने को है

अरशद कमाल

यही इंसाफ़ तिरे अहद में है ऐ शह-ए-हुस्न

अरशद अली ख़ान क़लक़

ख़रीदारी-ए-जिंस-ए-हुस्न पर रग़बत दिलाता है

अरशद अली ख़ान क़लक़

ये जी में आता है जल जल के हर ज़माँ नासेह

अरशद अली ख़ान क़लक़

वाइज़ की ज़िद से रिंदों ने रस्म-ए-जदीद की

अरशद अली ख़ान क़लक़

वा'दा-ख़िलाफ़ कितने हैं ऐ रश्क-ए-माह आप

अरशद अली ख़ान क़लक़

तासीर जज़्ब मस्तों की हर हर ग़ज़ल में है

अरशद अली ख़ान क़लक़

रोज़-ए-अव्वल से असीर ऐ दिल-ए-नाशाद हैं हम

अरशद अली ख़ान क़लक़

रग-ओ-पै में भरा है मेरे शोर उस की मोहब्बत का

अरशद अली ख़ान क़लक़

परतव-ए-रुख़ का तिरे दिल में गुज़र रहता है

अरशद अली ख़ान क़लक़

नहीं चमके ये हँसने में तुम्हारे दाँत अंजुम से

अरशद अली ख़ान क़लक़

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