हसन Poetry (page 48)

ब'अद-अज़-वक़्त

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ये जफ़ा-ए-ग़म का चारा वो नजात-ए-दिल का आलम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

वफ़ा-ए-वादा नहीं वादा-ए-दिगर भी नहीं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

रह-ए-ख़िज़ाँ में तलाश-ए-बहार करते रहे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

किए आरज़ू से पैमाँ जो मआल तक न पहुँचे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कई बार इस का दामन भर दिया हुस्न-ए-दो-आलम से

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कब तक दिल की ख़ैर मनाएँ कब तक रह दिखलाओगे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हम ने सब शेर में सँवारे थे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

जहाँ में ख़ुद को बनाने में देर लगती है

फ़ैय्याज़ रश्क़

नज़्र-ए-फ़िराक़

फ़हमीदा रियाज़

बर्ग-ए-सदा को लब से उड़े देर हो गई

फ़हीम शनास काज़मी

ख़ूबाँ के बीच जानाँ मुम्ताज़ है सरापा

फ़ाएज़ देहलवी

सलीक़ा इतना तो ऐ शौक़-ए-ख़ुश-कलाम आए

एज़ाज़ अफ़ज़ल

लहू ने क्या तिरे ख़ंजर को दिलकशी दी है

एज़ाज़ अफ़ज़ल

चलो कुछ तो राह तय हो न चले तो भूल होगी

एज़ाज़ अफ़ज़ल

राह-ए-तलब में अहल-ए-दिल जब हद-ए-आम से बढ़े

एजाज़ वारसी

मदावा-ए-जुनूँ सैर-ए-गुलिस्ताँ से नहीं होता

एजाज़ वारसी

पेचाक-ए-उम्र अपने सँवार आइने के साथ

एजाज़ गुल

तुझे भी हुस्न-ए-मुत्लक़ का अभी दीदार हो जाए

अहया भोजपुरी

गया था बज़्म-ए-मोहब्बत में ख़ाली जाम लिए

एहतिशाम हुसैन

शोरिश-ए-इश्क़ में है हुस्न बराबर का शरीक

एहसान दानिश

तौबा की नाज़िशों पे सितम ढा के पी गया

एहसान दानिश

न सियो होंट न ख़्वाबों में सदा दो हम को

एहसान दानिश

मिरे मिटाने की तदबीर थी हिजाब न था

एहसान दानिश

मौसम से रंग-ओ-बू हैं ख़फ़ा देखते चलो

एहसान दानिश

जीने के लिए जो मर रहे हैं

एहसान दानिश

जब रुख़-ए-हुस्न से नक़ाब उठा

एहसान दानिश

इश्क़ को तक़लीद से आज़ाद कर

एहसान दानिश

इश्क़ की दुनिया में इक हंगामा बरपा कर दिया

एहसान दानिश

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