हसन Poetry (page 46)

काग़ज़ के फूल

फ़रीद इशरती

बे-बाक अँधेरे

फ़रीद इशरती

बिछड़ते दामनों में अपनी कुछ परछाइयाँ रख दो

फ़राज़ सुल्तानपूरी

फटी मश्कें लिए दिन-रात दरिया देखने वाले

फ़क़ीह हैदर

दुनिया-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ में किस का ज़ुहूर था

फ़ानी बदायुनी

ज़बाँ मुद्दआ-आश्ना चाहता हूँ

फ़ानी बदायुनी

यूँ नज़्म-ए-जहाँ दरहम-ओ-बरहम न हुआ था

फ़ानी बदायुनी

वो पूछते हैं हिज्र में है इज़्तिराब क्या

फ़ानी बदायुनी

तेरा निगाह-ए-शौक़ कोई राज़-दाँ न था

फ़ानी बदायुनी

ताकीद है कि दीदा-ए-दिल वा करे कोई

फ़ानी बदायुनी

शबाब-ए-होश कि फ़िल-जुमला यादगार हुई

फ़ानी बदायुनी

ख़ल्क़ कहती है जिसे दिल तिरे दीवाने का

फ़ानी बदायुनी

जुस्तुजू-ए-नशात-ए-मुबहम क्या

फ़ानी बदायुनी

जल्वा-ए-इश्क़ हक़ीक़त थी हुस्न-ए-मजाज़ बहाना था

फ़ानी बदायुनी

इश्क़ इश्क़ हो शायद हुस्न में फ़ना हो कर

फ़ानी बदायुनी

हासिल-ए-इल्म-ए-बशर जहल का इरफ़ाँ होना

फ़ानी बदायुनी

हर साँस के साथ जा रहा हूँ

फ़ानी बदायुनी

दुनिया-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ में किस का ज़ुहूर था

फ़ानी बदायुनी

ऐ मौत तुझ पे उम्र-ए-अबद का मदार है

फ़ानी बदायुनी

मैं चला आया तिरा हुस्न-ए-तग़ाफ़ुल ले कर

फ़ना निज़ामी कानपुरी

यूँ तिरी तलाश में तेरे ख़स्ता-जाँ चले

फ़ना निज़ामी कानपुरी

या रब मिरी हयात से ग़म का असर न जाए

फ़ना निज़ामी कानपुरी

साक़िया तू ने मिरे ज़र्फ़ को समझा क्या है

फ़ना निज़ामी कानपुरी

ऐ हुस्न ज़माने के तेवर भी तो समझा कर

फ़ना निज़ामी कानपुरी

ये तमन्ना है कि इस तरह मुसलमाँ होता

फ़ना बुलंदशहरी

तुझे ढूँढती हैं नज़रें मुझे इक झलक दिखा जा

फ़ना बुलंदशहरी

मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया

फ़ना बुलंदशहरी

मक़ाम-ए-होश से गुज़रा मकाँ से ला-मकाँ पहुँचा

फ़ना बुलंदशहरी

जो मिटा है तेरे जमाल पर वो हर एक ग़म से गुज़र गया

फ़ना बुलंदशहरी

बा-होश वही हैं दीवाने उल्फ़त में जो ऐसा करते हैं

फ़ना बुलंदशहरी

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