हसन Poetry (page 45)

तेरे सूरज को तिरी शाम से पहचानते हैं

फ़रहत एहसास

तेरा भला हो तू जो समझता है मुझ को ग़ैर

फ़रहत एहसास

साँसें ना-हमवार मिरी

फ़रहत एहसास

रास्ता दे ऐ हुजूम-ए-शहर घर जाएँगे हम

फ़रहत एहसास

मोहब्बत चाहते हो क्यूँ वफ़ा क्यूँ माँगते हो

फ़रहत एहसास

ख़ुद से इंकार को हम-ज़ाद किया है मैं ने

फ़रहत एहसास

झगड़े ख़ुदा से हो गए अहद-ए-शबाब में

फ़रहत एहसास

हम अपने आप को अपने से कम भी करते रहते हैं

फ़रहत एहसास

हर इक जानिब उन आँखों का इशारा जा रहा है

फ़रहत एहसास

हमें जब अपना तआरुफ़ कराना पड़ता है

फ़रहत एहसास

घर बनाने में तमाम अहल-ए-सफ़र लग गए हैं

फ़रहत एहसास

गर अपने आप में इंसान बढ़ता जा रहा है

फ़रहत एहसास

इक हवा सा मिरे सीने से मिरा यार गया

फ़रहत एहसास

आख़िर उस के हुस्न की मुश्किल को हल मैं ने किया

फ़रहत एहसास

ये क्या हुआ कि सभी अब तो दाग़ जलने लगे

फ़रहान सालिम

मैं तिरे संग कैसे चलूँ हम-सफ़र तू समुंदर है मैं साहिलों की हवा

फ़रहान सालिम

क्या बताएँ क्या कल शब आख़िरी पहर देखा

फ़रहान सालिम

खो बैठी है सारे ख़द-ओ-ख़ाल अपनी ये दुनिया

फ़रहान सालिम

ये कहाँ से मौज-ए-तरब उठी कि मलाल दिल से निकल गए

फ़रीद जावेद

ये कहाँ से मौज-ए-तरब उठी कि मलाल दिल से निकल गए

फ़रीद जावेद

तल्ख़ गुज़रे कि शादमाँ गुज़रे

फ़रीद जावेद

तल्ख़ गुज़रे कि शादमाँ गुज़रे

फ़रीद जावेद

तल्ख़ गुज़रे कि शादमाँ गुज़रे

फ़रीद जावेद

पहुँच के हम सर-ए-मंज़िल जिन्हें भुला न सके

फ़रीद जावेद

पहुँच के हम सर-ए-मंज़िल जिन्हें भुला न सके

फ़रीद जावेद

ना-शगुफ़्ता कलियों में शौक़ है तबस्सुम का

फ़रीद जावेद

किस से वफ़ा की है उमीद कौन वफ़ा-शिआर है

फ़रीद जावेद

किस से वफ़ा की है उमीद कौन वफ़ा-शिआ'र है

फ़रीद जावेद

अभी मकाँ मैं अभी सू-ए-ला-मकाँ हूँ मैं

फ़रीद जावेद

अभी मकाँ मैं अभी सू-ए-ला-मकाँ हूँ मैं

फ़रीद जावेद

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