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Collection: हसन Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 30 - Darsaal

हसन Poetry (page 30)

ये घनी छाँव ये ठंडक ये दिल-ओ-जाँ का सुकूँ

राम कृष्ण मुज़्तर

रक़्स-ए-शबाब-ओ-रंग-ए-बहाराँ नज़र में है

राम कृष्ण मुज़्तर

फिर कोई ख़लिश नज़्द-ए-राग-ए-जाँ तो नहीं है

राम कृष्ण मुज़्तर

फिर भीग चलीं आँखें चलने लगी पुर्वाई

राम कृष्ण मुज़्तर

मुस्तक़िल दीद की ये शक्ल नज़र आई है

राम कृष्ण मुज़्तर

मोहब्बत हासिल-ए-दुनिया-ओ-दीं है

राम कृष्ण मुज़्तर

मिरी ज़िंदगी भी तू है मिरा मुद्दआ' भी तू है

राम कृष्ण मुज़्तर

मिरी निगाह में ये रंग-ए-सोज़-ओ-साज़ न हो

राम कृष्ण मुज़्तर

मजबूर तो बहुत हैं मोहब्बत में जी से हम

राम कृष्ण मुज़्तर

दिल-ओ-नज़र में न पैदा हुई शकेबाई

राम कृष्ण मुज़्तर

दर्द-ए-हयात-ए-इश्क़ है नग़्मा-ए-जाँ-गुदाज़ में

राम कृष्ण मुज़्तर

बहारें और वो रंगीं नज़ारे याद आते हैं

राम कृष्ण मुज़्तर

हयात-ओ-मर्ग का उक़्दा कुशा होने नहीं देता

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

हसीं तुझ से तिरा हुस्न-ए-तलब था

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

वो टूटते हुए रिश्तों का हुस्न-ए-आख़िर था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

ज़माँ मकाँ थे मिरे सामने बिखरते हुए

राजेन्द्र मनचंदा बानी

तमाम रास्ता फूलों भरा है मेरे लिए

राजेन्द्र मनचंदा बानी

सदा-ए-दिल इबादत की तरह थी

राजेन्द्र मनचंदा बानी

न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे

राजेन्द्र कृष्ण

किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाए हुए

राजेन्द्र कृष्ण

शाम कठिन है रात कड़ी है

राजेन्द्र नाथ रहबर

क्या क्या सवाल मेरी नज़र पूछती रही

राजेन्द्र नाथ रहबर

ज़ौक़-ए-सुजूद ले गया मुझ को कहाँ कहाँ

राज कुमार सूरी नदीम

फिर उन की निगाहों के पयाम आए हुए हैं

राज कुमार सूरी नदीम

हुस्न को हुस्न बनाने में मिरा हाथ भी है

रईस फ़रोग़

हवस का रंग ज़ियादा नहीं तमन्ना में

रईस फ़रोग़

घर मुझे रात भर डराए गया

रईस फ़रोग़

दुनिया का वबाल भी रहेगा

रईस फ़रोग़

अपनी मिट्टी को सर-अफ़राज़ नहीं कर सकते

रईस फ़रोग़

ख़ामोश ज़िंदगी जो बसर कर रहे हैं हम

रईस अमरोहवी

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