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Collection: हसन Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

हसन Poetry

क्यूँ मसाफ़त में न आए याद अपना घर मुझे

फ़ौक़ लुधियानवी

श्री गुरु-नानक

शातिर अमृतसरी

नहीं कि ज़िंदा है बस एक मेरी ज़ात में इश्क़

एज़ाज़ काज़मी

शाइ'र की इल्तिजा

फ़ज़लुर्रहमान

हक़ीक़त है कि नन्हा सा दिया हूँ

वलीउल्लाह वली

तस्वीर तेरी यूँ ही रहे काश जेब में

आमिर अमीर

अफ़्सूँ पहली बारिश का

मसूद मिर्ज़ा नियाज़ी

न आए काम किसी के जो ज़िंदगी क्या है

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

ख़्वाबों ख़यालों की अप्सरा

दौर आफ़रीदी

यौम-ए-बर्क़

बिर्ज लाल रअना

कल से आज तक

दौर आफ़रीदी

मरहला

दौर आफ़रीदी

अपने शहर के लिए दुआ

मुनीर नियाज़ी

ज़ाबता

हबीब जालिब

कुछ हुस्न के फ़साने तरतीब दे रहा हूँ

कितने पुर-हौल अँधेरों से गुज़र कर ऐ दोस्त

छुपे तो कैसे छुपे चमन में मिरा तिरा रब्त-ए-वालिहाना

अहिंसा की पहली सुनहरी किरन

किस के नग़्मे गूँजते हैं ज़िंदगी के साज़ में

इज़हार-ए-हाल सुन के हमारा कभी कभी

मिरी ख़ाक में विला का न कोई शरार होता

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

गुम-कर्दा-राह ख़ाक-बसर हूँ ज़रा ठहर

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

ये शोर-ओ-शर तो पहले दिन से आदम-ज़ाद में है

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

बे-सबात सुब्ह शाम और मिरा वजूद

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

था हर्फ़-ए-शौक़ सैद हुआ कौन ले गया

ज़ुबैर रिज़वी

क़सीदे ले के सारे शौकत-ए-दरबार तक आए

ज़ुबैर रिज़वी

कहीं से आया तुम्हारा ख़याल वैसे ही

ज़ुबैर क़ैसर

पड़ती नहीं है दिल पे तिरे हुस्न की किरन

ज़ियाउद्दीन अहमद शकेब

हमें भी ज़रूरत थी इक शख़्स की

ज़ियाउद्दीन अहमद शकेब

कसक

ज़िया जालंधरी

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