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Collection: बज़्म Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 18 - Darsaal

बज़्म Poetry (page 18)

क़ैद-ए-तन से रूह है नाशाद क्या

इम्दाद इमाम असर

महफ़िल में उस पे रात जो तू मेहरबाँ न था

इम्दाद इमाम असर

जफ़ाएँ होती हैं घुटता है दम ऐसा भी होता है

इम्दाद इमाम असर

हमीं नाशाद नज़र आते हैं दिल-शाद हैं सब

इमदाद अली बहर

चार दिन है ये जवानी न बहुत जोश में आ

इमदाद अली बहर

वो बेज़ार मुझ से हुआ ज़ार मैं हूँ

इमाम बख़्श नासिख़

सौ क़िस्सों से बेहतर है कहानी मिरे दिल की

इमाम बख़्श नासिख़

सब हमारे लिए ज़ंजीर लिए फिरते हैं

इमाम बख़्श नासिख़

आ गया जब से नज़र वो शोख़ हरजाई मुझे

इमाम बख़्श नासिख़

दर्द का दिल का शाम का बज़्म का मय का जाम का

इदरीस बाबर

मतला ग़ज़ल का ग़ैर ज़रूरी क्या क्यूँ कब का हिस्सा है

इदरीस बाबर

इस से पहले कि ज़मीं-ज़ाद शरारत कर जाएँ

इदरीस बाबर

इस से पहले कि ज़मीं-ज़ाद शरारत कर जाएँ

इदरीस बाबर

दिल में है इत्तिफ़ाक़ से दश्त भी घर के साथ साथ

इदरीस बाबर

तिरी ज़मीं से उठेंगे तो आसमाँ होंगे

इब्राहीम अश्क

उस शाम वो रुख़्सत का समाँ याद रहेगा

इब्न-ए-इंशा

ठहरेगा वही रन में जो हिम्मत का धनी है

हुरमतुल इकराम

तज़ईन-ए-बज़्म-ए-ग़म के लिए कोई शय तो हो

होश तिर्मिज़ी

तज़ईन-ए-बज़्म-ए-ग़म के लिए कोई शय तो हो

होश तिर्मिज़ी

कभी आहें कभी नाले कभी आँसू निकले

होश तिर्मिज़ी

गो दाग़ हो गए हैं वो छाले पड़े हुए

होश तिर्मिज़ी

अन-कही

हिमायत अली शाएर

वक़्त ने रंग बहुत बदले क्या कुछ सैलाब नहीं आए

हिलाल फ़रीद

वो शोख़ बाम पे जब बे-नक़ाब आएगा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

कुछ मोहब्बत में अजब शेव-ए-दिल-दार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

दिल फ़ुर्क़त-ए-हबीब में दीवाना हो गया

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

ज़िंदगी से मिली सौग़ात ये तन्हाई की

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

रंग-आमेज़ी से पैदा कुछ असर ऐसा हुआ

हीरा लाल फ़लक देहलवी

आरास्ता बज़्म-ए-ऐश हुई अब रिंद पिएँगे खुल खुल के

हीरा लाल फ़लक देहलवी

का'बा-ओ-बुत-ख़ाना वालों से जुदा बैठे हैं हम

हातिम अली मेहर

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