Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_676c87aeb5662db14960fff47e3fbd71, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
Collection: बिहार Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 26 - Darsaal

बिहार Poetry (page 26)

गुलों का दौर है बुलबुल मज़े बहार में लूट

हबीब मूसवी

हुए ख़ल्क़ जब से जहाँ में हम हवस-ए-नज़ारा-ए-यार है

हबीब मूसवी

है निगहबाँ रुख़ का ख़ाल-रू-ए-दोस्त

हबीब मूसवी

है आठ पहर तू जल्वा-नुमा तिमसाल-ए-नज़र है परतव-ए-रुख़

हबीब मूसवी

गुलों का दौर है बुलबुल मज़े बहार में लूट

हबीब मूसवी

दाग़-ए-दिल हैं ग़ैरत-ए-सद-लाला-ज़ार अब के बरस

हबीब मूसवी

बना के आईना-ए-तसव्वुर जहाँ दिल-ए-दाग़-दार देखा

हबीब मूसवी

रानाई-ए-बहार पे थे सब फ़रेफ़्ता

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

निगाह-ए-लुत्फ़ को उल्फ़त-शिआर समझे थे

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

मुझ को एहसास-ए-रंग-ओ-बू न हुआ

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

है नवेद-ए-बहार हर लब पर

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

फ़ैज़-ए-अय्याम-ए-बहार अहल-ए-क़फ़स क्या जानें

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

अपने दामन में एक तार नहीं

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

नवेद-ए-आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहार भी तो नहीं

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

तमाम रात बुझेंगे न मेरे घर के चराग़

हबाब तिर्मिज़ी

ख़ुद पे वो फ़ख़्र-कुनाँ कैसा है

हबाब हाश्मी

तिरी उमीदों का साथ देगी इनायत-ए-बर्ग-ओ-बार कब तक

गुलज़ार बुख़ारी

अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार

गुलज़ार

बीते रिश्ते तलाश करती है

गुलज़ार

ये तिलिस्म-ए-मौसम-ए-गुल नहीं कि ये मोजज़ा है बहार का

गुलनार आफ़रीन

शजर-ए-उम्मीद भी जल गया वो वफ़ा की शाख़ भी जल गई

गुलनार आफ़रीन

नज़्ज़ारा-ए-रुख़-ए-साक़ी से मुझ को मस्ती है

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

लब-ए-जाँ-बख़्श पे दम अपना फ़ना होता है

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

क्यूँकर न ख़ुश हो सर मिरा लटक्का के दार में

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

क्या हैं शैदा-ए-क़द्द-ए-यार दरख़्त

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

क्या कीजिए कशिश है कुछ ऐसी गुनाह में

गोपाल मित्तल

तेरा ख़ुलूस-ए-दिल तो महल्ल-ए-नज़र नहीं

गोपाल मित्तल

जो शुआ-ए-लब है मौज-ए-नौ-बहार-ए-नग़्मा है

गोपाल मित्तल

दौर-ए-फ़लक के शिकवे गिले रोज़गार के

गोपाल मित्तल

रह गई लुट कर बहार-ए-ज़िंदगी

गोपाल कृष्णा शफ़क़

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.