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Collection: बदन Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 45 - Darsaal

बदन Poetry (page 45)

उसे मैं ने नहीं देखा

अब्बास ताबिश

तिलिस्म-ए-ख़्वाब से मेरा बदन पत्थर नहीं होता

अब्बास ताबिश

मिरे बदन में लहू का कटाव ऐसा था

अब्बास ताबिश

दर-ए-उफ़ुक़ पे रक़म रौशनी का बाब करें

अब्बास ताबिश

मैं उस से दूर रहा उस की दस्तरस में रहा

अब्बास रिज़वी

ज़मीन उन के लिए फूल खिलाती है

अब्बास अतहर

अपने अपने सूराख़ों का डर

अब्बास अतहर

किस के बदन की नर्मियाँ हाथों को गुदगुदा गईं

आतिफ़ वहीद 'यासिर'

आँखों को नक़्श-ए-पा तिरा दिल को ग़ुबार कर दिया

आतिफ़ वहीद 'यासिर'

एक मंज़र में लिपटे बदन के सिवा

आशुफ़्ता चंगेज़ी

धुआँ उठ रहा है

आशुफ़्ता चंगेज़ी

सिलसिला अब भी ख़्वाबों का टूटा नहीं

आशुफ़्ता चंगेज़ी

सभी को अपना समझता हूँ क्या हुआ है मुझे

आशुफ़्ता चंगेज़ी

भीनी ख़ुशबू सुलगती साँसों में

आशुफ़्ता चंगेज़ी

गूँजता है बदन में सन्नाटा

आनिस मुईन

एक नज़्म

आनिस मुईन

लहू लहू आरज़ू बदन का लिहाफ़ होगा

आनन्द सरूप अंजुम

अदा है ख़्वाब है तस्कीन है तमाशा है

आमिर सुहैल

वही आँगन वही खिड़की वही दर याद आता है

आलोक श्रीवास्तव

रोज़ ख़्वाबों में आ के चल दूँगा

आलोक श्रीवास्तव

कुछ लोग तग़य्युर से अभी काँप रहे हैं

आल-ए-अहमद सूरूर

तिरे जलाल से ख़ुर्शीद को ज़वाल हुआ

आग़ा अकबराबादी

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