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Collection: बात Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 84 - Darsaal

बात Poetry (page 84)

इन चटख़्ते पत्थरों पर पाँव धरना ध्यान से

बशीर अहमद बशीर

करोगे याद तो हर बात याद आएगी

बशर नवाज़

वहशत में भी रुख़ जानिब-ए-सहरा न करेंगे

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

किस तरह मिलें कोई बहाना नहीं मिलता

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

देखी जो ज़ुल्फ़-ए-यार तबीअत सँभल गई

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

तेरी हर बात पे चुप रहते हैं

बाक़ी सिद्दीक़ी

पहले हर बात पे हम सोचते थे

बाक़ी सिद्दीक़ी

दुनिया ने हर बात में क्या क्या रंग भरे

बाक़ी सिद्दीक़ी

दिल में जब बात नहीं रह सकती

बाक़ी सिद्दीक़ी

यूँ भी होने का पता देते हैं

बाक़ी सिद्दीक़ी

यूँ भी होने का पता देते हैं

बाक़ी सिद्दीक़ी

वो मक़ाम-ए-दिल-ओ-जाँ क्या होगा

बाक़ी सिद्दीक़ी

वक़्त रस्ते में खड़ा है कि नहीं

बाक़ी सिद्दीक़ी

वफ़ा के ज़ख़्म हम धोने न पाए

बाक़ी सिद्दीक़ी

तुम कब थे क़रीब इतने मैं कब दूर रहा हूँ

बाक़ी सिद्दीक़ी

तारे दर्द के झोंके बन कर आते हैं

बाक़ी सिद्दीक़ी

मरहले ज़ीस्त के आसान हुए

बाक़ी सिद्दीक़ी

क्या पता हम को मिला है अपना

बाक़ी सिद्दीक़ी

इस कार-ए-गह-ए-रंग में हम तंग नहीं क्या

बाक़ी सिद्दीक़ी

ऐसा वार पड़ा सर का

बाक़ी सिद्दीक़ी

आस्तीं में साँप इक पलता रहा

बाक़ी सिद्दीक़ी

तेरी तरह मलाल मुझे भी नहीं रहा

बाक़ी अहमदपुरी

रोज़-ए-वहशत है मिरे शहर में वीरानी की

बाक़ी अहमदपुरी

शोर-ए-दरिया है कहानी मेरी

बाक़र नक़वी

उस ने कहा!

बाक़र मेहदी

सज़ा

बाक़र मेहदी

ख़ामुशी

बाक़र मेहदी

ज़र्रे का राज़ मेहर को समझाना चाहिए

बाक़र मेहदी

अश्क मेरे हैं मगर दीदा-ए-नम है उस का

बाक़र मेहदी

अब ख़ानुमाँ-ख़राब की मंज़िल यहाँ नहीं

बाक़र मेहदी

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