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Collection: बात Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 116 - Darsaal

बात Poetry (page 116)

एक ना-मक़बूल क़ुर्बानी हूँ मैं

अब्दुल हमीद अदम

दिन गुज़र जाएँगे सरकार कोई बात नहीं

अब्दुल हमीद अदम

दिल डूब न जाएँ प्यासों के तकलीफ़ ज़रा फ़रमा देना

अब्दुल हमीद अदम

ऐ साक़ी-ए-मह-वश ग़म-ए-दौराँ नहीं उठता

अब्दुल हमीद अदम

दिल में जो बात है बताते नहीं

अब्दुल हमीद

हर बात है 'ख़ालिद' की ज़माने से निराली

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

फूली है शफ़क़ गो कि अभी शाम नहीं है

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

नख़चीर हूँ मैं कश्मकश-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र का

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

मैं बात कौन से पैरा-ए-बयाँ में करूँ

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

ख़ामोश कली सारे गुलिस्ताँ की ज़बाँ है

अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत

अपनी नाकाम तमन्नाओं का मातम न करो

अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत

पस-ए-तक़रीब-ए-मुलाक़ात

अब्दुल अहद साज़

यूँ तो सौ तरह की मुश्किल सुख़नी आए हमें

अब्दुल अहद साज़

जो कुछ भी ये जहाँ की ज़माने की घर की है

अब्दुल अहद साज़

जब तक शब्द के दीप जलेंगे सब आएँगे तब तक यार

अब्दुल अहद साज़

दूर से शहर-ए-फ़िक्र सुहाना लगता है

अब्दुल अहद साज़

बजा कि लुत्फ़ है दुनिया में शोर करने का

अब्दुल अहद साज़

बोलता हूँ तो मिरे होंट झुलस जाते हैं

अब्बास ताबिश

ये वाहिमे भी अजब बाम-ओ-दर बनाते हैं

अब्बास ताबिश

ये किस के ख़ौफ़ का गलियों में ज़हर फैल गया

अब्बास ताबिश

वो कौन है जो पस-ए-चश्म-ए-तर नहीं आता

अब्बास ताबिश

शिकस्ता-ख़्वाब-ओ-शिकस्ता-पा हूँ मुझे दुआओं में याद रखना

अब्बास ताबिश

निगाह-ए-अव्वलीं का है तक़ाज़ा देखते रहना

अब्बास ताबिश

मिरे बदन में लहू का कटाव ऐसा था

अब्बास ताबिश

कस कर बाँधी गई रगों में दिल की गिरह तो ढीली है

अब्बास ताबिश

इश्क़ की जोत जगाने में बड़ी देर लगी

अब्बास ताबिश

चाँद का पत्थर बाँध के तन से उतरी मंज़र-ए-ख़्वाब में चुप

अब्बास ताबिश

बयाँ अपनी हक़ीक़त कर रहा हूँ

अब्बास ताबिश

अहल-ए-जुनूँ थे फ़स्ल-ए-बहाराँ के सर गए

अब्बास रिज़वी

हम ऐसे सर-फिरे दुनिया को कब दरकार होते हैं

अब्बास क़मर

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