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Collection: अश्क Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 23 - Darsaal

अश्क Poetry (page 23)

होते होते चश्म से आज अश्क-बारी रह गई

ज़फ़र

हिज्र में जो अश्क-ए-चश्म-ए-तर गिरा

बदर जमाली

घटा सावन की उमडी आ रही है

बीएस जैन जौहर

घटा सावन की उमडी आ रही है

बीएस जैन जौहर

मैं वफ़ा का सौदागर

अज़ीज़ क़ैसी

तमीज़ अपने में ग़ैर में क्या तुम्हें जो अपना न कर सके हम

अज़ीज़ क़ैसी

सोज़-ए-ग़म से अश्क का एक एक क़तरा जल गया

अज़ीज़ लखनवी

इंतिहा-ए-इश्क़ हो यूँ इश्क़ में कामिल बनो

अज़ीज़ लखनवी

कुछ ज़िंदगी में इश्क़-ओ-वफ़ा का हुनर भी रख

अज़ीज़ अन्सारी

गिर्दाब-ए-रेग-ए-जान से मौज-ए-सराब तक

अज़हर नक़वी

देखिए चलता है पैमाना किधर से पहले

अज़हर लखनवी

मुझ को वहशत हुई मिरे घर से

अज़हर इक़बाल

तस्बीह-ए-कुमरी सर्व-ए-सनोबर समेट लो

अज़हर हाश्मी

रहगुज़ारों में रौशनी के लिए

अय्यूब रूमानी

कैसा मंज़र गुज़रने वाला था

औरंगज़ेब

आ कर उरूज कैसे गिरा है ज़वाल पर

औरंगज़ेब

अपने सूखे हुए गुल-दान का ग़म है मुझ को

अतीक़ुल्लाह

कुछ और दिन अभी उस जा क़याम करना था

अतीक़ुल्लाह

दिल के नज़दीक तो साया भी नहीं है कोई

अतीक़ुल्लाह

तुम्हारे हिज्र का सदक़ा उतार फेंकता है

अताउल हसन

नज़्र-ए-अलीगढ़

असरार-उल-हक़ मजाज़

मुझे जाना है इक दिन

असरार-उल-हक़ मजाज़

एक ग़मगीन याद

असरार-उल-हक़ मजाज़

आज भी

असरार-उल-हक़ मजाज़

दिल-ए-पुर-ख़ूँ को यादों से उलझता छोड़ देते हैं

असलम कोलसरी

बिखरे बिखरे बाल और सूरत खोई खोई

असलम कोलसरी

आँख को अश्क बना के देख

असलम हबीब

नमी उतर गई धरती में तह-ब-तह 'असलम'

असलम इमादी

वहाँ हर एक इसी नश्शा-ए-अना में है

असलम इमादी

एक नज़्म

असलम अंसारी

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