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Collection: अश्क Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 22 - Darsaal

अश्क Poetry (page 22)

फ़रियाद है अब लब पर जब अश्क-फ़िशानी थी

बहज़ाद लखनवी

हम मय-कदे से मर के भी बाहर न जाएँगे

बेदम शाह वारसी

दारू-ए-दर्द-ए-निहाँ राहत-ए-जानी सनमा

बेदम शाह वारसी

ये आरज़ू है कि वो नामा-बर से ले काग़ज़

बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान

सब की मौजूदगी समझता है

बशीर महताब

वो सितम-परवर ब-चश्म अश्क-बार आ ही गया

बशीर फ़ारूक़

तख़लीक़-ए-काएनात दिगर कर सके तो कर

बशीर फ़ारूक़

कोई बादल हो तो थम जाए मगर अश्क मिरे

बशीर बद्र

फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे

बशीर बद्र

जल्वों का उन के दिल को तलब-गार कर दिया

बशीरुद्दीन राज़

दिल जो उम्मीद-वार होता है

बशीरुद्दीन राज़

ये रुख़-ए-यार नहीं ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ के तले

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

सिपाह-ए-इशरत पे फ़ौज-ए-ग़म ने जो मिल के मरकब बहम उठाए

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

मेरी गो आह से जंगल न जले ख़ुश्क तो हो

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

जो चश्म-ओ-दिल से चढ़ा दूँ नाले ब-आब-ए-अव्वल दोवम-ब-आतिश

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

जब मेरे दिल जिगर की तिलिस्में बनाइयाँ

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

दिल ख़ूँ है ग़म से और जिगर यक-न-शुद दो-शुद

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

दिल ख़ूँ है ग़म से और जिगर यक न-शुद दो शुद

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

छुप के नज़रों से इन आँखों की फ़रामोश की राह

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

लहरों का आतिश-फ़िशाँ

बाक़र मेहदी

बहुत है एक नज़र

बाक़र मेहदी

ख़बर सुनेगा मिरी मौत की तो ख़ुश होगा

बाक़र मेहदी

बहुत ज़ी-फ़हम हैं दुनिया को लेकिन कम समझते हैं!

बाक़र मेहदी

मैं तेरे हिज्र में जीने से हो गया था उदास

बाक़र आगाह वेलोरी

रहता है ज़ुल्फ़-ए-यार मिरे मन से मन लगा

बाक़र आगाह वेलोरी

नहीं है अश्क से ये ख़ून-ए-नाब आँखों में

बाक़र आगाह वेलोरी

अगरचे दिल को ले साथ अपने आया अश्क मिरा

बाक़र आगाह वेलोरी

वो सौ सौ अठखटों से घर से बाहर दो क़दम निकले

ज़फ़र

टुकड़े नहीं हैं आँसुओं में दिल के चार पाँच

ज़फ़र

न दाइम ग़म है ने इशरत कभी यूँ है कभी वूँ है

ज़फ़र

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