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Collection: अंदर Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

अंदर Poetry

हवाओं में दिलों का कारवाँ है

अल्का मिश्रा

क्यूँ मसाफ़त में न आए याद अपना घर मुझे

फ़ौक़ लुधियानवी

दस्तूर साज़ी की कोशिश

रज़ा नक़वी वाही

सुकूत उस का है सब्र-ए-जमील की सूरत

अज़्म शाकरी

मैं किस से पूछता कि भला क्या कमी हुई

नईम गिलानी

जवाँ होता बुढ़ापा

ममता तिवारी

काली आग

नायाब

नए आदमी का कंफ़ेशन

ग़ज़नफ़र

अलाव

बलराज कोमल

सहराओं के दोस्त थे हम ख़ुद-आराई से ख़त्म हुए

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

सफ़र पे जैसे कोई घर से हो के जाता है

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

जाने हम ये किन गलियों में ख़ाक उड़ा कर आ जाते हैं

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

इक नफ़स नाबूद से बाहर ज़रा रहता हूँ मैं

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

दिल में रहता है कोई दिल ही की ख़ातिर ख़ामोश

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

मुझे तुम शोहरतों के दरमियाँ गुमनाम लिख देना

ज़ुबैर रिज़वी

हम दोनों में कोई न अपने क़ौल-ओ-क़सम का सच्चा था

ज़ुबैर रिज़वी

बरसों में तुझे देखा तो एहसास हुआ है

ज़ुबैर रिज़वी

लोग कहते हैं यहाँ एक हसीं रहता था

ज़ुबैर फ़ारूक़

जो रिश्तों की अजब सी ज़िम्मेदारी सर पे रक्खी है

ज़िया ज़मीर

तसलसुल

ज़िया जालंधरी

अपने अहवाल पे हम आप थे हैराँ बाबा

ज़िया जालंधरी

यूँ हसरतों की गर्द में था दिल अटा हुआ

ज़िया फ़तेहाबादी

पुल-सिरात

ज़ेहरा निगाह

इंसाफ़

ज़ेहरा निगाह

मोहब्बत के रास्ते में

ज़ीशान साहिल

ख़त

ज़ीशान साहिल

आप क्या करते हैं

ज़ीशान साहिल

किसी की देन है लेकिन मिरी ज़रूरत है

ज़ीशान साहिल

ग्लैडिएटर

ज़ीशान हैदर

वक़्त की बर्फ़ है हर तौर पिघलने वाली

ज़ीशान साजिद

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