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Collection: दर्पण Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

दर्पण Poetry

वो चाँद था बादलों में गुम था

असरार ज़ैदी

सीने में दिल जो दर्द का मारा नहीं मिला

अहमद फ़ाख़िर

ज़ब्त की हद से भी जिस वक़्त गुज़र जाता है

शौक़ मुरादाबादी

सुलग रहा है कोई शख़्स क्यूँ अबस मुझ में

अब्दुल्लाह कमाल

कोई चराग़ न जुगनू सफ़र में रक्खा गया

वफ़ा नक़वी

अब तक तो यही पता नहीं है

बिमल कृष्ण अश्क

अफ़्सूँ पहली बारिश का

मसूद मिर्ज़ा नियाज़ी

पेश हर अहद को इक तेग़ का इम्काँ क्यूँ है

अली अकबर अब्बास

जवाँ होता बुढ़ापा

ममता तिवारी

शनावर

इमरान शनावर

पुराने रंग में अश्क-ए-ग़म ताज़ा मिलाता हूँ

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

बसाई मैं ने जो क़ल्ब-ए-हज़ीं में

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

बसाई मैं ने जो क़ल्ब-ए-हज़ीं में

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

मुसालहत

ज़ुबैर रिज़वी

छोड़ कर घर की फ़ज़ा रानाइयाँ पछता गईं

ज़ुबैर रिज़वी

साफ़ आईना है क्यूँ मुझे धुँदला दिखाई दे

ज़ुबैर फ़ारूक़

मेरे गिर्या से न आज़ार उठाने से हुआ

ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क

जिस भी लफ़्ज़ पे उँगलियाँ रख दे साज़ करे

ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क

ख़ुद फ़रेब

ज़िया जालंधरी

कसक

ज़िया जालंधरी

हम

ज़िया जालंधरी

चाक

ज़िया जालंधरी

तुम्हारी चाहत की चाँदनी से हर इक शब-ए-ग़म सँवर गई है

ज़िया जालंधरी

जब उन्ही को न सुना पाए ग़म-ए-जाँ अपना

ज़िया जालंधरी

रौशनियाँ अतराफ़ में 'ज़ेहरा' रौशन थीं

ज़ेहरा निगाह

रात अजब आसेब-ज़दा सा मौसम था

ज़ेहरा निगाह

एक तेरा ग़म जिस को राह-ए-मो'तबर जानें

ज़ेहरा निगाह

छोटी सी बच्ची

ज़ीशान साहिल

जुड़ जाएँ तसावीर तो बन जाए कहानी

ज़ीशान साजिद

मैं अक्स-ए-आरज़ू था हवा ले गई मुझे

ज़ेब ग़ौरी

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