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Collection: आंखें Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 17 - Darsaal

आंखें Poetry (page 17)

ख़मोशी में छुपे लफ़्ज़ों के हुलिए याद आएँगे

सरदार सलीम

उन बुतों से रब्त तोड़ा चाहिए

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

तुम्हें शब-ए-व'अदा दर्द-ए-सर था ये सब हैं बे-ए'तिबार बातें

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

कहीं ये तस्कीन-ए-दिल न देखी कहीं ये आराम-ए-जाँ न देखा

सरस्वती सरन कैफ़

शायद मिट्टी मुझे फिर पुकारे

सारा शगुफ़्ता

क़र्ज़

सारा शगुफ़्ता

ख़ाली आँखों का मकान

सारा शगुफ़्ता

कैसे टहलता है चाँद

सारा शगुफ़्ता

चराग़ जब मेरा कमरा नापता है

सारा शगुफ़्ता

चाँद का क़र्ज़

सारा शगुफ़्ता

आधा कमरा

सारा शगुफ़्ता

ज़िंदा पानी सच्चा

साक़ी फ़ारुक़ी

पोस्टर

साक़ी फ़ारुक़ी

मुर्दा-ख़ाना

साक़ी फ़ारुक़ी

फैंटेसी

साक़ी फ़ारुक़ी

एक सुअर से

साक़ी फ़ारुक़ी

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साक़ी फ़ारुक़ी

वो दुख जो सोए हुए हैं उन्हें जगा दूँगा

साक़ी फ़ारुक़ी

पाँव मारा था पहाड़ों पे तो पानी निकला

साक़ी फ़ारुक़ी

मैं तेरे ज़ुल्म दिखाता हूँ अपना मातम करने के लिए

साक़ी फ़ारुक़ी

मैं फिर से हो जाऊँगा तन्हा इक दिन

साक़ी फ़ारुक़ी

मैं खिल नहीं सका कि मुझे नम नहीं मिला

साक़ी फ़ारुक़ी

जान प्यारी थी मगर जान से बे-ज़ारी थी

साक़ी फ़ारुक़ी

इक याद की मौजूदगी सह भी नहीं सकते

साक़ी फ़ारुक़ी

यूँ भला तुम पर सजा कब आइने में देखना

सलमान सिद्दीक़ी

मसअला हुस्न-ए-तख़य्युल का है न इल्हाम का है

सलमा शाहीन

मिरे वहम-ओ-गुमाँ से भी ज़ियादा टूट जाता है

सलीम साग़र

हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन में बहार आए

सलीम रज़ा रीवा

मौसम का ज़हर दाग़ बने क्यूँ लिबास पर

सलीम शाहिद

बुझ गए शो'ले धुआँ आँखों को पानी दे गया

सलीम शाहिद

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