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Collection: आंखें Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 14 - Darsaal

आंखें Poetry (page 14)

अब के बरस

शहरयार

सभी को ग़म है समुंदर के ख़ुश्क होने का

शहरयार

मंज़र गुज़िश्ता शब के दामन में भर रहा है

शहरयार

गुज़रे थे हुसैन इब्न-ए-अली रात इधर से

शहरयार

आहट जो सुनाई दी है हिज्र की शब की है

शहरयार

तुम अपनी सब्ज़ आँखें बंद कर लो

शहराम सर्मदी

ख़ुदा से

शहराम सर्मदी

ख़ला सा कहीं है

शहराम सर्मदी

अहल-ए-दिल को बुला रहा हूँ

शहराम सर्मदी

मता-ए-पास-ए-वफ़ा खो नहीं सकूँगा मैं

शहराम सर्मदी

फ़ज़ा होती ग़ुबार-आलूदा सूरज डूबता होता

शहराम सर्मदी

ब-राह-ए-रास्त नहीं फिर भी राब्ता सा है

शहराम सर्मदी

बदल जाएगा सब कुछ ये तमाशा भी नहीं होगा

शहराम सर्मदी

हवा के हौसले ज़ंजीर करना चाहता है

शहनाज़ नूर

नींद की माती

शहनाज़ नबी

कोलाज़

शहनाज़ नबी

मेज़ पे चेहरा ज़ुल्फ़ें काग़ज़ पर

शहनवाज़ ज़ैदी

किसी बंजर तख़य्युल पर किसी बे-आब रिश्ते में

शहनवाज़ ज़ैदी

दिल भी दाग़-ए-नक़्श-ए-कुहन से बुझा हुआ था

शहनवाज़ ज़ैदी

तेरी मर्ज़ी के ख़द-ओ-ख़ाल में ढलता हुआ मैं

शाहिद ज़की

बिछड़ गया था कोई ख़्वाब-ए-दिल-नशीं मुझ से

शाहिद ज़की

न जाने क्या हुए अतराफ़ देखने वाले

शाहिद मीर

रोज़ खुलने की अदा भी तो नहीं आती है

शाहिद लतीफ़

हवा की डोर में टूटे हुए तारे पिरोती है

शाहिद कमाल

तुम से मिलते ही बिछड़ने के वसीले हो गए

शाहिद कबीर

इन सभी दरख़्तों को आँधियों ने घेरा है

शाहिद ग़ाज़ी

तन्हाई

शाहीन ग़ाज़ीपुरी

सिक्का पानी और सितारा

शाहीन ग़ाज़ीपुरी

यूँ उलझ कर रह गई है तार-ए-पैराहन में रात

शाहीन ग़ाज़ीपुरी

दिए का काम अब आँखें दिखाना रह गया है

शाहीन अब्बास

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