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Collection: आंखें Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 13 - Darsaal

आंखें Poetry (page 13)

एक से मंज़र देख देख कर आँखें दुखने लगती हैं

शहज़ाद अहमद

दिन निकलते ही वो ख़्वाबों के जज़ीरे क्या हुए

शहज़ाद अहमद

सोता जागता साया

शहज़ाद अहमद

मैं और तू

शहज़ाद अहमद

हम कि इंसान नहीं आँखें हैं

शहज़ाद अहमद

दिल-आराम

शहज़ाद अहमद

बे-शुमार आँखें

शहज़ाद अहमद

अन-कही

शहज़ाद अहमद

आँख-मिचोली

शहज़ाद अहमद

यूँ ख़ाक की मानिंद न राहों पे बिखर जा

शहज़ाद अहमद

वो जा चुका है तो क्यूँ बे-क़रार इतने हो

शहज़ाद अहमद

उठीं आँखें अगर आहट सुनी है

शहज़ाद अहमद

उम्र जितनी भी कटी उस के भरोसे पे कटी

शहज़ाद अहमद

रात की नींदें तो पहले ही उड़ा कर ले गया

शहज़ाद अहमद

पुराने दोस्तों से अब मुरव्वत छोड़ दी हम ने

शहज़ाद अहमद

मेरी ख़ातिर देर न करना और सफ़र करते जाना

शहज़ाद अहमद

मैं जो रोता हूँ तो कहते हो कि ऐसा न करो

शहज़ाद अहमद

मैं अकेला हूँ यहाँ मेरे सिवा कोई नहीं

शहज़ाद अहमद

ख़ुद ही मिल बैठे हो ये कैसी शनासाई हुई

शहज़ाद अहमद

कब तक कड़कती धूप में आँखें जलाएँ हम

शहज़ाद अहमद

जाने किस सम्त से हवा आई

शहज़ाद अहमद

इस दोशीज़ा मिट्टी पर नक़्श-ए-कफ़-ए-पा कोई भी नहीं

शहज़ाद अहमद

डूब जाएँगे सितारे और बिखर जाएगी रात

शहज़ाद अहमद

देख अब अपने हयूले को फ़ना होते हुए

शहज़ाद अहमद

चुप के आलम में वो तस्वीर सी सूरत उस की

शहज़ाद अहमद

बिखरे हुए तारों से मिरी रात भरी है

शहज़ाद अहमद

बताऊँ किस तरह अहबाब को आँखें जो ऐसी हैं

शहरयार

ज़वाल की हद

शहरयार

मेरी ज़मीं

शहरयार

गुम-शुदा

शहरयार

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