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Collection: निकासी Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

निकासी Poetry

बाज़-गश्त

अर्श सिद्दीक़ी

न तीरगी के लिए हूँ न रौशनी के लिए

ऐन सलाम

ज़ख़्म के होंट पर लुआब उस का

अक़ील अब्बास

ये जहान-ए-आब-ओ-गिल लगता है इक माया मुझे

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

पेश हर अहद को इक तेग़ का इम्काँ क्यूँ है

अली अकबर अब्बास

आँख हो और कोई ख़्वाब न हो

फ़ारूक़ इंजीनियर

कैसी उफ़्ताद पड़ी

फ़ैसल हाश्मी

दूर का सफ़र

बलराज कोमल

गुल-दान

आरिफ़ अब्दुल मतीन

दिल्ली पे क़ुर्बान

इज़हार मलीहाबादी

वो आलम ख़्वाब का था

हारिस ख़लीक़

महा-भारत

ग़ज़नफ़र

ग़म के बे-नूर मज़ारों का गला घोंट आया

बदन को छू लें तिरे और सुर्ख़-रू हो लें

बात बह जाने की सुन कर अश्क बरहम हो गए

जाम ख़ाली हैं मय-ए-नाब कहाँ से लाऊँ

बे-सबात सुब्ह शाम और मिरा वजूद

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

कभी ख़ुशबू कभी आवाज़ बन जाना पड़ेगा

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

हमें यूँही न सर-ए-आब-ओ-गिल बनाया जाए

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

सहरा में घटा का मुंतज़िर हूँ

ज़ुहूर नज़र

रक्खा नहीं ग़ुर्बत ने किसी इक का भरम भी

ज़ुहूर नज़र

जबीं से नाख़ुन-ए-पा तक दिखाई क्यूँ नहीं देता

ज़ुबैर शिफ़ाई

मुझे तुम शोहरतों के दरमियाँ गुमनाम लिख देना

ज़ुबैर रिज़वी

शिकस्ता ख़्वाब मिरे आईने में रक्खे हैं

ज़ुबैर क़ैसर

कहीं ये लम्हा-ए-मौजूद वाहिमा ही न हो

ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क

जिस तरह प्यासा कोई आब-ए-रवाँ तक पहुँचे

ज़िया ज़मीर

आँसू

ज़िया जालंधरी

शाम का पहला तारा

ज़ेहरा निगाह

नया घर

ज़ेहरा निगाह

अपना हर अंदाज़ आँखों को तर-ओ-ताज़ा लगा

ज़ेहरा निगाह

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