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तिलोकचंद महरूम Rubaai In Hindi - Best तिलोकचंद महरूम Rubaai Shayari & Poems - Darsaal

Rubaais of Tilok Chand Mahroom

Rubaais of Tilok Chand Mahroom
नामतिलोकचंद महरूम
अंग्रेज़ी नामTilok Chand Mahroom
जन्म की तारीख1887
मौत की तिथि1966

ज़ाहिर में क़ज़ा बहुत सितम ढाती है

उड़ते देखा जो ताइर-ए-पर्रां को

रंगीनी-बज़्म-ओ-बू किस की है

राज़-ए-हस्ती बशर को हो क्या मा'लूम

क़तरा समझे हक़ीक़त-ए-दरिया क्या

काला इंसान हो या कोई ज़र्द इंसान

जंगल की ये दिल-नशीं फ़ज़ा ये बरसात

जब काली घटाएँ झूम कर आती हैं

इंकार-ए-गुनाह भी किए जाता हूँ

हम भूल को अपनी इल्म-ओ-फ़न समझे हैं

हर राह में है राह-नुमा नाम तिरा

हंगामा तिरा ही गर्म हर इक सू है

है नाज़िश-ए-काएनात ये पैकर-ए-ख़ाक

फ़रियाद है किस लिए दर-ए-यज़्दाँ पर

दरवाज़े पे तेरे इक जहाँ झुकता है

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