बादल और तारे
ख़त्म हुआ दिन सूरज डूबा
शाम हुई और उभरे तारे
जगमग जगमग करते आए
नूर के टुकड़े प्यारे प्यारे
दूर कहीं से ठंडे ठंडे
तेज़ हवा के झोंके आए
काँधों पर अपने वो उठा कर
छोटे छोटे बादल लाए
उन को देख के और भी बरसा
नूर मसर्रत का तारों से
कोई छुपा और कोई निकला
बादल के इन अम्बारों से
खेल रहे हों जैसे बच्चे
आँख-मिचोली गली गली में
या शबनम के क़तरे चमकें
ओझल हो कर गली गली में
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