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ख़ुदा से वक़्त-ए-दुआ हम सवाल कर बैठे - तिलोकचंद महरूम कविता - Darsaal

ख़ुदा से वक़्त-ए-दुआ हम सवाल कर बैठे

ख़ुदा से वक़्त-ए-दुआ हम सवाल कर बैठे

वो बुत भी दिल को ज़रा अब संभाल कर बैठे

किया है आँख की गर्दिश से पीस कर सुर्मा

वो बे-चले ही मुझे पाएमाल कर बैठे

तमाम उम्र परेशाँ रखा दम-ए-आख़िर

बला से मेरी परेशाँ वो बाल कर बैठे

चले हैं तूर को मूसा मगर हमें मतलब

कि हम बुतों ही में ये देख-भाल कर बैठे

रवाँ हैं अश्क किसी के फ़िराक़ में या रब

कोई न पुर्सिश-ए-वजह-ए-मलाल कर बैठे

बुरा हो उल्फ़त-ए-ख़ूबाँ का हम-नशीं हम तो

शबाब ही में बुरा अपना हाल कर बैठे

न इल्म है न ज़बाँ है तो किस लिए 'महरूम'

तुम अपने आप को शाइर ख़याल कर बैठे

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In Hindi By Famous Poet Tilok Chand Mahroom. is written by Tilok Chand Mahroom. Complete Poem in Hindi by Tilok Chand Mahroom. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.