मुस्कुराते हुए फूलों का अरक़ सब का है

मुस्कुराते हुए फूलों का अरक़ सब का है

उन के जल्वों से अयाँ है जो सबक़ सब का है

जिस को पढ़ने से मिरी ज़ीस्त ज़िया-बार हुई

उस पे तहरीर ख़ुदा की है वरक़ सब का है

जितनी हाजत हो मियाँ उतना ही हिस्सा लेना

अपने अतराफ़ के सामान पे हक़ सब का है

मुट्ठियाँ भर के लहू मैं ने उछाला बरसों

इस से तश्कील हुआ रंग-ए-शफ़क़ सब का है

लोग किस तरह दिखाते हैं तबस्सुम की नुमूद

रूह कजलाई है चेहरा भी तो फ़क़ सब का है

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In Hindi By Famous Poet Tilak Raj Paras. is written by Tilak Raj Paras. Complete Poem in Hindi by Tilak Raj Paras. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.