Ghazals of Tauqeer Taqi
नाम | तौक़ीर तक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Tauqeer Taqi |
याद और ग़म की रिवायात से निकला हुआ है
सूरत-ए-इश्क़ बदलता नहीं तू भी मैं भी
रूठ कर आँख के अंदर से निकल जाते हैं
परी उड़ जाएगी और राजधानी ख़त्म होगी
मौज-ए-ख़याल में न किसी जल-परी में आए
लफ़्ज़ की क़ैद से रिहा हो जा
कोई तासीर तो है इस की नवा में ऐसी
ख़ाक होती हुई हस्ती से उठा
कहीं शुऊर में सदियों का ख़ौफ़ ज़िंदा था
दर्द जब से दिल-नशीं है इश्क़ है
बदन में रूह की तर्सील करने वाले लोग