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शब-ए-तारीक हूँ नूर-ए-सहर होने की ख़्वाहिश है - तौक़ीर रज़ा कविता - Darsaal

शब-ए-तारीक हूँ नूर-ए-सहर होने की ख़्वाहिश है

शब-ए-तारीक हूँ नूर-ए-सहर होने की ख़्वाहिश है

मैं ऐसा हो नहीं सकता मगर होने की ख़्वाहिश है

मोहब्बत के मुक़ाबिल आ गई है दोस्ती यारो

उधर मैं हो नहीं सकता जिधर होने की ख़्वाहिश है

वगर्ना तेरा होना और न होना एक जैसा है

किसी अहल-ए-नज़र से मिल अगर होने की ख़्वाहिश है

'रज़ा' इक दिन तुझे अपनी नज़र से भी गिरा देगी

ये जौहर इक नज़र में मो'तबर होने की ख़्वाहिश है

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In Hindi By Famous Poet Tauqeer Raza. is written by Tauqeer Raza. Complete Poem in Hindi by Tauqeer Raza. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.