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पलकों को तेरी शर्म से झुकता हुआ मैं देखूँ - तौक़ीर अहमद कविता - Darsaal

पलकों को तेरी शर्म से झुकता हुआ मैं देखूँ

पलकों को तेरी शर्म से झुकता हुआ मैं देखूँ

धड़कन को अपने दिल की रुकता हुआ मैं देखूँ

पीने का शौक़ मुझ को हरगिज़ नहीं है मगर

क़दमों को मय-कदे पे रुकता हुआ मैं देखूँ

या-रब करम की बारिश इक बार ऐसी कर दे

हर फूल को चमन में हँसता हुआ मैं देखूँ

जब भी उठें दुआ की ख़ातिर ये हाथ मेरे

आँखों को आँसुओं से भरता हुआ मैं देखूँ

'तौक़ीर' मेरे रब का कितना करम है मुझ पे

ख़ुशियों को संग अपने चलता हुआ मैं देखूँ

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In Hindi By Famous Poet Tauqeer Ahmad. is written by Tauqeer Ahmad. Complete Poem in Hindi by Tauqeer Ahmad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.