इस बार हुआ कुन का असर और तरह का
इस बार हुआ कुन का असर और तरह का
इस बार है इम्कान-ए-बशर और तरह का
इस बार मदीने ही में दर आया था कूफ़ा
इस बार किया हम ने सफ़र और तरह का
इस बार न अस्बाब न चादर पे नज़र थी
इस बार था लुटने का ख़तर और तरह का
इस बार कोई ऐब कोई ऐब नहीं था
इस बार किया हम ने हुनर और तरह का
इस बार कोई ख़ैर का तालिब ही नहीं था
इस बार था अंदेशा-ए-शर और तरह का
इस बार चली बाद-ए-सुमूम और तरह की
इस बार खिला है गुल-ए-तर और तरह का
इस बार तो जिब्रील-ए-मआनी को मिला इज़्न
इस बार जला लफ़्ज़ का पर और तरह का
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