बे-तलब कर के ज़रूरत भी चली जाए अगर

बे-तलब कर के ज़रूरत भी चली जाए अगर

डर रही हूँ कि ये वहशत भी चली जाए अगर

शाम होते ही सितारों से ये पूछा अक्सर

शाम होने की ये सूरत भी चली जाए अगर

इक तिरा दर्द सलीक़े से सँभाला लेकिन

दीदा-ए-तर से तरावत भी चली जाए अगर

ये तो है ख़ून-ए-जिगर चाहिए लेकिन ऐ दिल

शेर कहने की रिआयत भी चली जाए अगर

मैं तो हैरान परेशान यही सोचती हूँ

आईना ख़ाने से हैरत भी चली जाए अगर

इक नज़र भर का ही सौदा चलो मंज़ूर हमें

कम-निगाही की ये मोहलत भी चली जाए अगर

वो गया है तो मुझे काम ही अब कोई नहीं

क्या ही अच्छा हो कि फ़ुर्सत भी चली जाए अगर

दिल के मलबे में तमन्ना ने ये हसरत से कहा

क्या हो तामीर की हसरत भी चली जाए अगर

तेरी फ़ुर्क़त बड़ी दुश्वार मगर ऐसे में

याद करने की सुहुलत भी चली जाए अगर

अब नशात-ए-ग़म-ए-फ़ुर्क़त से सवाल इतना है

ताज़िया-दारी की लज़्ज़त भी चली जाए अगर

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In Hindi By Famous Poet Tasneem Abidi. is written by Tasneem Abidi. Complete Poem in Hindi by Tasneem Abidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.