ख़्वाब पहले ले गया फिर रत-जगा भी ले गया

ख़्वाब पहले ले गया फिर रत-जगा भी ले गया

जाते जाते वो मिरे घर का दिया भी ले गया

धूप है अब और न बादल है न ख़ुशबू और न फूल

सारे मौसम ले गया आब-ओ-हवा भी ले गया

ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी तय हो मसाफ़त किस तरह

सम्त-ए-मंज़िल ले गया वो रास्ता भी ले गया

एक मुद्दत हो गई बैठा हूँ संग-ए-मील पर

रास्तों के साथ अपने नक़्श-ए-पा भी ले गया

हाथ पत्थर हो गए लब कपकपाते रह गए

वो दुआ भी ले गया दस्त-ए-दुआ भी ले गया

कैसे देखूँगा मैं 'ज़ुल्फ़ी' अपने चेहरे की किताब

वो गया तो आरज़ू का आइना भी ले गया

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In Hindi By Famous Poet Tasleem Ilahi Zulfi. is written by Tasleem Ilahi Zulfi. Complete Poem in Hindi by Tasleem Ilahi Zulfi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.