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तुम ग़ैर से मिलो न मिलो मैं तो छोड़ दूँ - मीर तस्कीन देहलवी कविता - Darsaal

तुम ग़ैर से मिलो न मिलो मैं तो छोड़ दूँ

तुम ग़ैर से मिलो न मिलो मैं तो छोड़ दूँ

गर इस वफ़ा पे कोई कहे बेवफ़ा मुझे

सच है तू बद-गुमाँ है समझता है कुछ का कुछ

बोसा न लेना था तिरे आईने का मुझे

इंसाफ़ कर ख़राब न फिरता मैं दर-ब-दर

मिलती जो तेरे गोशा-ए-ख़ातिर में जा मुझे

उस बुत की मैं दिखाऊँगा तस्वीर वाइज़ो

फिर क्या कहेगा दावर-ए-रोज़-ए-जज़ा मुझे

क्यूँ उन से वक़्त-ए-क़त्ल किया शिकवा ग़ैर का

करनी थी मग़फ़िरत ही की अपनी दुआ मुझे

पूछे जो तुझ से कोई कि 'तस्कीं' से क्यूँ मिला

कह दीजो हाल देख के रहम आ गया मुझे

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In Hindi By Famous Poet Taskeen Dehlavi. is written by Taskeen Dehlavi. Complete Poem in Hindi by Taskeen Dehlavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.