मीर तस्कीन देहलवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मीर तस्कीन देहलवी
नाम | मीर तस्कीन देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Taskeen Dehlavi |
जन्म की तारीख | 1803 |
मौत की तिथि | 1852 |
ज़ब्त करता हूँ वले इस पर भी है ये जोश-ए-अश्क
'तस्कीं' ने नाम ले के तिरा वक़्त-ए-मर्ग आह
'तस्कीन' करूँ क्या दिल-ए-मुज़्तर का इलाज अब
शब-ए-विसाल में सुनना पड़ा फ़साना-ए-ग़ैर
पूछे जो तुझ से कोई कि 'तस्कीं' से क्यूँ मिला
ख़ूब-सूरत न हो कोई तो न हो बदनामी
करता हूँ तेरी ज़ुल्फ़ से दिल का मुबादला
जिस वक़्त नज़र पड़ती है उस शोख़ पे 'तस्कीं'
इतनी न कीजे जाने की जल्दी शब-ए-विसाल
अभी इस राह से कोई गया है
उस कू मैं हुए हम वो लब-ए-बाम न आया
तुम ग़ैर से मिलो न मिलो मैं तो छोड़ दूँ
तू क्यूँ पास से उठ चला बैठे बैठे
रहने वालों को तिरे कूचे के ये क्या हो गया
नाम लोगे जो याँ से जाने का
क्या क्या मज़े से रात की अहद-ए-शबाब में
कर सके दफ़्न न उस कूचे में अहबाब मुझे
हुए थे भाग के पर्दे में तुम निहाँ क्यूँकर
गर मेरे बैठने से वो आज़ार खींचते
फ़र्क़ कुछ तो चाहिए अग़्यार से
दिल किस की तेग़-ए-नाज़ से लज़्ज़त-चशीदा है
बे-मेहर कहते हो उसे जो बेवफ़ा नहीं