लब से सुनाऊँ हाल क्या दिल का मिरे हबीब
लब का ये मसअला है कि लब मुस्कुराते हैं
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वो कोई सच था या झूटा कोई फ़साना था
दिल को क़रार मिलता है अक्सर चुभन के बा'द
लगा के ग़ोता समुंदर में तुम गुहर ढूँडो
तेरी वफ़ा का हम को गुमाँ इस क़दर हुआ
अच्छे हैं फ़ासले के ये तारे सजाते हैं
थम थम के बारिशें अब जल्वा दिखा रही हैं
चलो के मिल के बदल देते हैं समाजों को